देहरादून
, प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरक सिंह रावत को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया है। वहीं भाजपा ने भी हरक के खिलाफ एक्शन लेते हुए 6 साल तक के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। चुनाव तारीख के ऐलान के बाद कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत उत्तराखंड के सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले नेताओं में रहे हैं। वह अपने साथ अपनी बहू के लिए टिकट मांग रहे हैं। भाजपा इस पर सहमत नहीं हैं और ऐसे में उनके दूसरे दलों से संपर्क होने की भी चर्चा है।
इससे पहले हरक सिंह रावत बीजेपी की कोर ग्रुप की मीटिंग में भी नहीं पहुंचे थे. कोर ग्रुप का सदस्य होने के बावजूद भी हरक सिंह मीटिंग में नहीं आए थे. जिसके बाद अटकलें लगाई जा रही है कि हरक सिंह नाराज हैं. दरअसल हरक सिंह, लैंसडाउन से अपनी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं के लिए टिकट की पैरवी कर रहे हैं, मगर लैंसडाउन से विधायक दिलीप रावत इसके विरोध में हैं. साथ ही भाजपा संगठन भी हरक से नाराज है. कहा जा रहा है इसी को देखते हुए ये बड़ा फैसला लिया गया है,
पांच राज्यों में चुनाव को लेकर खासी उठापटक हो रही है। यूपी में बीजेपी को अपने विधायकों को संभालने में खासी परेशानी हो रही है तो उत्तराखंड में भी बगावत के सुर देखने को मिल रहे हैं। काफी दिनों से चर्चा थी कि कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत पार्टी को अलविदा कह सकते हैं। लेकिन फिलहाल बीजेपी ने उन्हें खुद ही पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। उधर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के गवर्नर से उनको कैबिनेट से बर्खास्त करने की सिफारिश की है।
उत्तराखंड में डा. हरक सिंह रावत का राजनीतिक सफर कम दिलचस्प नहीं है। उत्तर प्रदेश के समय 1984 में भाजपा से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े, तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1991 में भाजपा के टिकट पर पौड़ी से फिर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। तब तत्कालीन भाजपा की कल्याण सिंह सरकार में उन्हें पर्यटन मंत्री बनाया गया। वे उस कैबिनेट के सबसे युवा मंत्री थे।
