उत्तर प्रदेश

बिग ब्रेकिंग (हल्द्वानी) बहुचर्चित रेल भूमि प्रकरण. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण पहुंचे हल्द्वानी. संबंधित जमीन का किया स्थलीय निरीक्षण ।।

हल्द्वानी। उत्तराखंड के हल्द्वानी के बहुचर्चित रेलवे प्रकरण में बीती 7 फरवरी को उच्चतम न्यायालय दिल्ली में हुई सुनवाई में न्यायालय ने रेलवे को 8 सप्ताह का समय देते हुए आगामी 2 मई को मामले की सुनवाई करने का फैसला सुनाया था। अब 2 मई को होने वाली सुनवाई पर रेलवे प्रकरण से पीड़ित लोगों की नज़र है। इसी क्रम आज 4 मार्च शनिवार को उच्चतम न्यायालय में हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीक़ी की ओर से रेलवे पीड़ितों का मामला देख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशान्त भूषण हल्द्वानी पहुँचे। यहां उन्होंने रेलवे द्वारा बताई जा रही जमीन का निरीक्षण किया। इस दौरान उनके साथ उत्तराखंड समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रभारी हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीकी भी मौजूद रहे।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बताया कि मतीन सिद्दीकी के पुत्र के विवाह समारोह में शामिल ना होने के चलते आज मैं वर वधु को आशीर्वाद देने के लिए हल्द्वानी आया हूँ। उन्होंने बताया कि आज मैने रेलवे प्रकरण भूमि का स्वयं ग्राउंड जीरो पर निरीक्षण भी किया। उन्होंने कहा कि रेलवे प्रकरण भूमि पर काफी सरकारी निर्माण हुए हैं।जिसमे सरकारी स्कूल ट्यूबवेल बैंक आगनबाड़ी तथा काफी पुरानी मंदिर मस्जिद धर्मशाला भी बनी हुई हैं। साथ ही पचास से सौ साल तक की पुरानी आबादी है।प्रशांत भूषण के द्वारा कहा गया कि हाई कोर्ट का एक पक्षी निर्णय था जिस पर उच्चतम न्यायालय के द्वारा रोक लगाई गई है ग्राउंड जीरो पर देखने से प्रतीत होता है कि रेलवे को इतनी जमीन की आवश्यकता नहीं है जितनी की बताई जा रही है तथा माननीय सुप्रीम कोर्ट इस इस मामले में जमीनी सच्चाईयों को भी ध्यान में रखते हुए अपना निर्णय देगा उन्होंने कहा कि हमे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट रेलवे प्रकरण से पीड़ित लोगों के हक में फैसला करेगी।
वहीं समाजवादी पार्टी प्रदेश प्रभारी हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीकी के द्वारा बताया गया कि यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि जिन वरिष्ठ वकीलों के लिए कई कई दिन लोग टाइम लेने के लिए खड़े रहते हैं ऐसे सीनियर वकील मेरे घर आकर बच्चों को आशीर्वाद देने आए और रेलवे प्रकरण में मानवता को दृष्टिगत रखते हुए हर संभव न्याय दिलाने के लिए प्रयासरत हैं जिनके लिए हम सभी उनके सदा आभारी रहेंगे और हमें यकीन है कि माननीय उच्चतम न्यायालय हमारे हक में बेहतर फैसला करेगा

Ad
To Top