चम्पावत
सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के 17 बिन्दुओं के 2030 तक 15 वर्ष का विजन डाकुमेंन्ट तैयार कर जिलों की भौगोलिक परिस्थितियों का आंकलन करते हुए राज्य व जिला योजनाओं को पंचायतों से जोड़कर ग्राम पंचायतों का सतत् विकास करना है। यह बात जिलाधिकारी एसएन पाण्डे ने जिला सभागार में सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी) की एक दिवसीय कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि सतत् विकास लक्ष्य का राज्य सेक्टर व जिला योजना को सीधे ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से जोड़ना है जिसमें शिक्षा व चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाना, रोजगार के नये अवसर पैदा करना, रोजगार के नये क्षेत्रों को विकसित करना, इकोनोमिक ग्रोथ को बढ़ावा देना है जिससे लिए 29 विषयों पर ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्लान संख्या निदेशालय के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के विकास में केवल आर्थिक वृद्धि पर फोकस नहीं किया जायेगा बल्कि निष्पक्ष और अधिक समतामूलक, अधिक संरक्षित व संपन्न समाज पर फोकस किया जायेगा।
नियोजन विभाग, देहरादून से आये मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनोज कुमार पन्त ने कार्यशाला में 17 बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्लान के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों की आवश्यकता के साथ वहां की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या, महिला/पुरूष, बच्चे, एससी, एसटी, विकलांग, यूथ, कृषि, सिंचाई सुविधाएं, पेयजल, सड़क/स्वास्थ्य, एजूकेशन, रोजगार की स्थिति आदि का गहन आंकलन कर रोड़मैप तैयार किया जायेगा जिससे योजना बनाने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि उद्यान, वन, पर्यावरण आदि हेतु जीआईएस मैप की सुविधा ली जायेगी और भौगोलिक स्थिति को चिन्हित किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि सतत् विकास योजना का उद्देश्य रोजगार के साधनों का चिन्हीकरण, गरीबी खत्म करना, पर्यावरण की रक्षा, आर्थिक असमानता कम करना, नवाचार कार्यक्रम, टिकाऊ रोजगार और सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि योजना में राज्य, जिला व गांवों के कई लक्ष्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और “पीछे कोई नहीं छूटे“ के सिद्धांत व योजना गहन अध्ययन के बाद तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा, बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा, जीवन स्तर में सुधार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना, सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना, महिलाओं को सशक्त बनाना, सभी के लिए साफ पानी और स्वच्छता और उसका टिकाऊ प्रबंधन, सस्ती ऊर्जा, निरन्त, समावेशी और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ उत्पादक रोजगार और हर हाथ को काम, मजबूत बुनियादी ढांचा बनाना, समावेशी और टिकाऊ औद्योगिकरण प्रोत्साहन, टिकाऊ सामुदायिक विकास, उत्पादन और उपभोग पैटर्न को टिकाऊ बनाना है।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिए कार्रवाई सुनिश्चित करना, टिकाऊ विकास के लिए संसाधनों का संरक्षण, सुरक्षित जंगल, भूमि क्षरण और जैव विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकना, सतत विकास के लिए आपसी भागीदारी को पुनर्जीवित करना और साधनों को मजबूत बनाना योजना का उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि तय लक्ष्य निर्धारित समय में प्राप्त होते हैं तो जीने के बेहतर विकल्प उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि यूएनडीपी के 17 सतत् विकास लक्ष्यों की योजना का उद्देश्य वर्ष 2030 तक अधिक संपन्न, अधिक समतावादी और अधिक संरक्षित विश्व की रचना करना है। उन्होंने कहा कि सतत् विकास लक्ष्यों औऱ उनके उद्देश्यों से जुड़ी योजनाओं की पहचान शुरु हुई है। उन्होंने कहा कि परस्पर जुड़ी चुनौतियों से लड़ने के लिए सरकारी इमदाद ही काफी नहीं है, इसलिए अन्य स्रोतों भी ढूढ़े जा रहे हैं और सरकार, सतत् विकास लक्ष्य के प्रति दृढ़ता से समर्पित है।
उन्होंने कहा कि गांवों के विकास के लिए प्रत्येक स्कीम की मैपिंग करनी जरूरी होगी और स्कीम पर फोकस/तारगेट करना होगा। उन्होंने कहा कि सतत् विकास लक्ष्य में प्रगति की कुंजी क्वालिटी बेस डाटा होगा तो प्लानिंग भी सही होगी। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया औऱ डिजिटल इंडिया सतत् विकास लक्ष्यों के मूल में हैं। इस अवसर पर देहरादून से आये नितिन कौशिक व रंजन बोरा ने प्रश्नोत्तरी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र के सतत् विकास हेतु अधिकारियों के अनुभव साझा किये और अनुछुये क्षेत्रों की जानकारी शामिल की।
कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह, एडीएम टीएस मर्तोलिया, एसडीएम अनिल गर्ब्याल, शिप्रा जोशी, आरसी गौतम सहित पीडी एचजी भट्ट, डीडीओ एसके पंत, डीएसटीओ एनबी बचखेती, सीईओ आरसी पुरोहित, सीवीओ डा.बीएस जंगपांगी सहित सभी अधिकारी उपस्थित थे।