उत्तराखण्ड

श्रद्धांजलि–: पनेरु की शहादत को सलाम, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जताया शोक देश को हुई अपूरणीय क्षति

हल्द्वानी

सैन्यधाम के एक वीर की शहादत की सूचना से ओखल कांडा क्षेत्र सहित. पूरे नैनीताल जिले में शोक की लहर है।जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा क्षेत्र में नैनीताल जिले के मूल रूप से ओखलकांडा ब्लॉक के रहने वाले सूबेदार यमुना प्रसाद पनेरु देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए हैं, यमुना प्रसाद का परिवार हल्द्वानी के पास अर्जुनपुर गांव में रहता है छठी कुमाऊं रेजीमेंट में सूबेदार के पद पर रहे यमुना प्रसाद पनेरु ने 2012 में एवरेस्ट फतह कर तिरंगा फहरा चुके थे ।
पनेरु की शहादत पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए इसे देश के लिए अपूर्ण क्षति बताया और कहा कि सैन्यधाम ने एक सच्चा देशभक्त खो दिया है वही नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है जिसकी कभी भरपाई नहीं की जा सकती उन्होंने देश के सर्वोच्च बलिदान पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भगवान से परिजनों को असीम दुख सहने की भगवान से शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की।वही विधायक राम सिंह कैंड़ा ने भी शहीद के घर पहुंच कर शोक संतप्त परिवार को ढांढस बंधाया तथा

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सरकार की तरफ से हर संभव मदद का भरोसा दिया।
शहीद यमुना प्रसाद पनेरु 38 वर्ष की उम्र में देश की रक्षा वर्तमान में हल्द्वानी के गोरापड़ाव अर्जुनपुर गाँव में रह रहे शहीद के परिवार में पत्नी एक बेटा और एक बेटी है उनके बच्चों की उम्र 7 साल और 3 साल है सुबेदार यमुना पनेरू बचपन से ही देश भक्ति के गीत गाकर लोगों को देश सेवा के लिए उत्प्रेरित करते रहते थे उनका बचपन ग्रामसभा पदमपुर मीडार के तोक गालपाधूरा में बीताजहां वह बच्चों के साथ हमेशा देश भक्ति को लेकर के हमसे हमेशा बातें किया करते थे। आठवीं तक की पढ़ाई भी उच्च प्राथमिक विद्यालय मीडार से करने के बाद 9वीं और दसवीं की पढ़ाई एसएमएसडी स्कूल कनखल हरिद्वार से हुईहुई।। इंटरमीडिएट की परीक्षा हरिराम इंटर कॉलेज से पास करने के बाद डीएवी देहरादून में बीएससी में दाखिला लिया। बीएससी प्रथम वर्ष करने के दौरान का चयन भारतीय सेना के लिए हो गया।आज पनेरू की शहादत पर पूरा राज गमजदा है।
दो मासूम बच्चों के सिर से उठा पिता का साया।

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वर्ष 2012 में एवरेस्ट फतह करने वाले सूबेदार जमुना प्रसाद पनेरू परिवार में अकेले कमाने वाले सदस्य थे, वही यमुना प्रसाद के शहीद होने से उनके दो मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया शहीद के 7 साल के पुत्र यस पनेरू कक्षा 3 में अध्ययनरत है और 3 साल की पुत्री साक्षी पनेरू जोकि अभी एलकेजी क्लास में अध्ययनरत है, लेकिन पिता के अचानक यूं शहीद हो जाने से दोनों के सिर पर से छोटी सी उम्र में पिता का साया उठ गया है। वहीं परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। अब परिवार को इंतजार है तो बस शहीद के शरीर के पहुंचने का ताकि वो अंतिम दर्शन कर सकें।

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वर्ष 2019 से नही आए थे घर,
शहीद जमुना प्रशाद पनेरू ने छुट्टी पर आने की कही थी परिजनों व पड़ोसियों के मुताबिक वर्ष 2019 अक्टूबर में वह ड्यूटी पर गए थे, लॉकडाउन से पहले उन्होंने कुछ दिन पहले ही दोबारा छुट्टी पर आने की बात कही थी, वह अप्रैल अब महीने में छुट्टी पर घर आने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही कोरोनावायरस की वजह से लॉक डाउन लग गया जिस वजह से उन्हें लेकिन छुट्टी नहीं मिल पा रही थी। गुरुवार को यमुना प्रशाद पेट्रोलिंग को निकले थे, उसी बीच हुई घटना में वह शहीद हो गए।

तीन भाइयों में दूसरे नंबर के थे शहीद जमुना प्रसाद
भारतीय सेना की कुमाऊ रेजिमेंट की छटी बटालियन में तैनात जमुना प्रसाद पनेरू तीन भाई बहनों में दूसरे नंबर के थे उनका बड़ा भाई पोस्ट मास्टर पद पर है तो छोटा भाई वन विभाग में कार्यरत है जमुना प्रसाद की मौत से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी है

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