देहरादून
अशोक कुमार उत्तराखंड के अगले पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बनाए गए हैं। वह पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार रतूड़ी का स्थान लेंगे। उत्तराखंड पुलिस में महानिदेशक अनिल कुमार रतूड़ी का कार्यकाल इसी माह 30 नवंबर को समाप्त हो रहा है। उनके बाद वरिष्ठता में नाम अशोक कुमार का ही आता है। अशोक कुमार 1989 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। वह इस समय पुलिस में महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) जैसा अहम पद देख रहे हैं। अनिल कुमार रतूड़ी के बाद प्रदेश में सबसे वरिष्ठ आइपीएस होने के कारण स्वाभाविक रूप से उनका दावा सबसे पहले और सबसे मजबूत माना जा रहा था। 57 साल के अशोक कुमार को डीजीपी के रूप में कार्य करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। वह नवंबर 2023 को रिटायर होंगे। अभी वह डीजीपी कानून व्यवस्था हैं। उनसे वरिष्ठ एमए गणपति व एक बैच जूनियर वी विनय कुमार भी डीजीपी के पैनल में शामिल थे। गणपति प्रतिनियुक्त पर केंद्र सरकार में चले गए, वहीं विनय आइबी में जा चुके हैं। अशोक कुमार सामाजिक तौर पर सक्रिय हैं। खेलों के शौकीन हैं। पूरा परिवार बैडमिंटन प्रेमी और खिलाड़ी है। पहले से तय था कि अनिल के बाद वही डीजीपी बनेंगे। गृह सचिव नितेश कुमार झा की तरफ से संयुक्त सचिव गृह ओमकार सिंह ने अशोक कुमार के डीजीपी बनाए जाने के आदेश जारी कर दिए हैं। उनके कार्यकाल में पुलिस की कार्यशैली में निश्चित तौर से बदलाव देखने की उम्मीद की जा रही है।
जीवन परिचय
श्री अशोक कुमार का जन्म और पालन-पोषण हरियाणा के जिला पानीपत के एक छोटे से गाँव कुराना में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा गाँव के सरकारी स्कूल से प्राप्त की और IIT दिल्ली से BTech (1986) और MTech (1988) किया।
श्री अशोक कुमार वर्ष 1989 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए और उन्होंने इलाहाबाद, अलीगढ़, चमोली, मथुरा, शाहजहाँपुर, मैनपुरी, रामपुर, नैनीताल और हरिद्वार जैसे स्थानों में यूपी और उत्तराखंड राज्य में अपनी सेवाएं देते हुए कई चुनौतीपूर्ण कार्य किए। उत्तराखण्ड बनने से पूर्व वे चार जनपदों में सेवा दे चुके हैं, जो अब 5 जनपदों में तबदील हो चुके हैं। उन्होंने कुमाऊं के तराई क्षेत्र से आतंकवाद के खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 22 जनवरी 1994 को ऊधमसिंहनगर में हीरा सिंह गैंग के साथ हुए एक बड़े एन्काउन्टर को उन्होंने खुद लीड किया। इस एन्काउन्टर में 3000 राउण्ड फायरिंग हुई थी।
वर्ष 1994 में पुलिस अधीक्षक चमोली के पद नियुक्त रहे। इस दौरान जनता के साथ परसपर संवाद एवं सहयोग से वहां उत्तराखण्ड आन्दोलन काफी शान्तिपूर्ण रहा। वर्ष 1995-96 में वे वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार तथा वर्ष 1999 में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नैनीताल के पद पर सेवारत रहे।
वर्ष 2013 में केदारनाथ में आयी आपदा के समय वे BSF में IG प्रशासन के पद पर नियुक्त थे, इस दौरान उन्होंने कालीमठ घाटी में राहत एवं पुनर्वास कार्य कराए थे। 14 गांव गोद लिए थे और कालीमठ मन्दिर को भी बहने से बचाया था।
श्री अशोक कुमार “खाकी में इंसान” विषय पर जोर देते हैं। उनका मानना है कि अच्छी पुलिस व्यवस्था से सचमुच गरीब व असहाय लोगों की जिन्दगी में फर्क लाया जा सकता है।




