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राज्य गठन के बाद पहली बार देखा गया पंचायतों को, जिलाधिकारी सविन बंसल ने किया ऐसा काम, पंचायतों के सरपंचों को पता चले अपने अधिकार।

भीमताल

वन एवं वन्य जीव तथा पर्यावरण के प्रति बेहद संजीदा जिलाधिकारी श्री सविन बंसल की सक्रियता एवं तत्परता से जनपद में शतप्रतिशत वन पंचायतों में वन सरपंचो के चुनाव कराने के बाद वन सरपंचो को उनके अधिकार, कर्त्तव्य, दायित्वों एवं वित्तीय जानकारियाॅ देने हेतु बुद्धवार को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कन्ट्री इन भीमताल में बृहत अभिमुखी कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ जिलाधिकारी सविन बंसल तथा अध्यक्ष वन पंचायत सलाहकार परिषद वीरेन्द्र सिंह बिष्ट, डीएफओ बीजुलाल टीआर द्वारा संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया गया। कार्यशाला में 30 वन पंचायतों के सरपंचो को 17 लाख की रूपये की लीसा राॅयल्टी से प्राप्त धनराशि के चैक वितरित किये गये।


जिलाधिकारी श्री बंसल की सक्रियता से राज्य गठन के उपरान्त जनपद में प्रथम बार आयोजित वन पंचायत सरपंचो की अभिमुखी कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा विगत दस वर्षों से निष्क्रिय पड़ी वन पंचायतों को सक्रिय किया गया है। उन्होंने कहा कि इस अभिमुखी कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य नव निर्वाचित वन सरपंचों को उनके कार्यो, दायित्वों के साथ ही वित्तीय प्रबन्धन एवं वन पंचायत के नियमों एवं अधिनियमों से भिज्ञ कराना है ताकि सभी सरपंच सक्रियता से कार्य कर अपनी वन पंचायतों को सक्रिय एवं सुदृढ़ कर सके। उन्होंने कहा कि वन पंचायतों के संरक्षण एवं सुदृढ़ीकरण के साथ ही वनाग्नि सुरक्षा का दायित्व भी वन सरपंचो का होता है।


श्री बंसल ने कहा कि जनपद के ग्रामीण एवं दुर्गम ईलाकों में 485 वन सरपंचो एवं समिति का गठन होने से जनहित की योजनाओं को धरातल पर लाने एवं आम जनमानस को जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में भी मदद मिलेगी तथा योजनाओं के धरातीय क्रियान्वयन करने के लिए वन पंचायत समितियों के लगभग 4500 पदाधिकारी सदस्यों का सहयोग लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि वन पंचायत समितियाॅ अपने क्षेत्र में सक्रिय होकर कार्यों को अंजाम दें ताकि उनकी अलग से पहचान बन सके। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में वन पंचायतें आर्थिक एवं सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसलिए जन मानस के सहयोग से माईक्रो प्लान बनाकर कार्य करें व वन पंचायतों का चहुमुॅखी विकास करें। उन्होंने कहा कि वन और वन पंचायतें जीव-जन्तुओं, जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी संतुलन के साथ ही हमें शुद्ध हवा व जल उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने कहा कि वन हैं तो हम हैं। उन्होंने वन सरपंचो से कहा कि किसी भी प्रकार की समस्या के निराकरण हेतु वे ब्लाॅक स्तरीय कमेटी अथवा उनसे भी सम्पर्क कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वन पंचायतो को अन्य योजनाओं से भी लाभांवित किया जायेगा। वन पंचायते कार्यदायी संस्था के रूप में सांसद व विधायक निधि आदि से भी अपनी पंचायतों में भी विकास कार्य करा सकते हैं।


वन सरपंचो ने सक्रियता से वन पंचायतो में निर्वाचन कराने के साथ ही उनको अधिकारों, कत्र्तव्यों, वित्तीय प्रबन्धन, वन पंचायत अधिनियम व नियमों की विस्तृत जानकारी देने हेतु बृहद अभिमुखी कार्यशाला आयोजित करने पर जिलाधिकारी का आभार व्यक्त करते हुए भूरी-भूरी प्रशंसा की।
कार्यशाला में सम्बोधित करते हुए अध्यक्ष वन पंचायत सलाहकार परिषद (राज्य मंत्री) श्री वीरेन्द्र सिंह बिष्ट ने कहा कि वन ही जीवन है, वन हैं तो पानी है, जब वन है तभी जल, पर्यावरण, जीव-जन्तु व हम हैं। वनों के बिना जीवन की परिकल्पना करना भी व्यर्थ है। वनों के संरक्षण एवं संवर्धन के साथ ही शुद्ध पर्यावरण के लिए रिजर्व वन व वन पंचायतें अतिमहत्वपूर्ण हैं। इसलिए इनकी महत्ता को हमें समझना होगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीण जीवन एवं अर्थ व्यवस्था वनो पर आश्रित है और वन भी ग्रामवासियों पर आश्रित हैं, दोनो एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कहा कि वन का संरक्षण एवं संवर्धन सामाजिक कार्य है। इसके लिए वन पंचायतों के साथ ही हम सभी को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि वन पंचायतों में अधिक से अधिक जल संरक्षण कार्यों के साथ ही फल पौध, जड़ी बूटी एवं आय अर्जित करने वाले पौधे लगाये जाये ताकि अधिक से अधिक लाभार्जित किया जा सके। उन्होंने कहा कि सरपंच अपने गाड़-गधेरों को पुनर्जीवितीकरण के साथ ही उनमें सुन्दर स्थानों अथवा झरनों को भी चिन्हित करें ताकि उनको पर्यटन की दृष्टि से विकसित कर आय का नियमित स्त्रोत बनाया जा सके, जिससे पलायन पर भी रोक लगाने में भी मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि रेंज अधिकारी प्रत्येक छः माह में वन पंचायतों के साथ अनिवार्य रूप से बैठकें करना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि वन पंचायतें वनीकरण के साथ जल संरक्षण, चारागाह विकास के प्रस्ताव भेजे, इन कार्यों हेतु धन की कोई कमी नही है।
उन्होंने जनपद में अल्प समय में शतप्रतिशत वन पंचायतों निर्वाचन कराने, निष्क्रिय पड़ी पंचायतों को सक्रिय कराने एवं सरपंचो को जागरूक करने हेतु कार्यशाला आयोजित करने पर जिलाधिकारी को बधाई दी, साथ ही कहा कि नैनीताल की ही तर्ज पर प्रेदेश के सभी जनपदों में ऐसी ही कार्यशालाऐं आयोजित की जायेंगी व जनपद के माॅडल को भी अपनाया जायेगा।
कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ डाॅ.डीके जोशी ने वन पंचायतों की आवश्यकता एवं इतिहास के बारे में, डाॅ.राजेन्द्र सिंह ने वन पंचायतों द्वारा तैयार किये जाने वाले माईक्रो प्लान, ज़ायका एवं कैम्पा से किये जाने वाले कार्यों, वन पंचायतों के सीमांकन व अभिलेखों के बारे में तथा डीएफओ दिनकर तिवारी ने उत्तराखण्ड पंचायती वन नियमावली, पंचायतों के वित्तीय अधिकारों आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसके साथ ही उप जिलाधिकारी गौरव चटवाल ने वन पंचायतों एवं क्षेत्रीय परामर्शदात्री समितियों के गठन के बारे में, अध्यक्ष क्षेत्रीय परामर्शदात्री समिति प्रदीप कुमार पन्त ने वन पंचायतों के विस्तार के बारे, सीडीपीओ रेनू यादव ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं, तूलिका जोशी ने महिलाओं में पोषण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन एआरटीओ विमल पाण्डे द्वारा किया गया।

कार्यशाला में डीएफओ दिनकर तिवारी,उप जिलाधिकारी विनोद कुमार, अनुराग आर्य, गौरव चटवाल, जिला कार्यक्रम अधिकारी अनुलेखा बिष्ट सहित वन सरपंच मौजूद थे।

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