नैनीताल।
कोरोना वायरस कोविड-19 वैश्विक प्रकोप के बाद सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश पर इसके बचाव के लिये उत्तराखंड की जेलों में बंद सात साल से कम की सजा पाए 891 कैदियों को पैरोल या छह माह की अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा। इन कैदियों में 36 वे कैदी जो अस्वस्थ्य हैं जिन्हें स्वास्थ्य विभाग की देखरेख में एकांतवास में रखने के आदेश जेल प्रशासन को दिए गए हैं। कोरोना वायरस से बचाव के लिए सोशियल डिस्टेंस बनाने की आवश्यकता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों जेलों में सात साल से कम की सजा पाए कैदियों को पैरोल या अंतरिम जमानत पर छोड़ने के आदेश दिए थे।
इस आदेश के क्रियान्वयन को लेकर
उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सुधांशू धुलिया की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। जिसमें प्रमुख सचिव गृह व महानिदेशक कारागार को सदस्य बनाया गया। इस कमेटी ने आज जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के अध्यक्षों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये राज्य के जेलों में बंद सात साल से कम उम्र के कैदियों की समीक्षा की। जिसमें 264 कैदी सात साल से कम की सजा पाए थे। जबकि 621 कैदी विभिन्न मामलों में विचाराधीन थे। कमेटी ने इन सभी को पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव डॉ जी के शर्मा ने बताया कि इन कैदियों को पैरोल पर छोड़ने का प्रार्थना पत्र जेल प्रशासन को जिला विधिक सेवा प्रधिकरण के माध्यम से सम्बंधित न्यायालयों या राज्य सरकार को ऑन लाइन भेजना होगा।