उत्तराखण्ड

भाजपाई हुए पंडित जी, जितिन प्रसाद ने थामा भाजपा का दामन, छोड़ा हाथ का साथ ।।

भाजपाई हुए जितिन ,छोड़ा ‘हाथ’ का साथ
विश्वकान्त त्रिपाठी वरिष्ठ पत्रकार

लखनऊ/ लखीमपुर खीरी ।उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियां अपनी तैयारियों में जुटी है.नेताओं के दल बदलने का सिलसिला भी चरम पर है।

प्रदेश में चुनाव से पहले बीजेपी ने कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और कद्दावर नेता जितिन प्रसाद को अपने पाले में कर लिया। जितिन प्रसाद ने बीजेपी मुख्यालय में आज केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की मौजूदी में हाथ का साथ छोड़ कमल की छतरी के नीचे आगये। जानकारों की मानें तो बीजेपी उत्तर प्रदेश में जितिन प्रसाद को ब्राहम्ण चहरे के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है ब्राह्मणों के साथ साथ ठाकुर तथा पुरानी कांग्रेसी लावी के साथ ही सीतापुर शाहजहांपुर और खीरी लखीमपुर में उनका खासा वर्चस्व है।

जितिन प्रसाद ने 5 जून को अपने ट्विटर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जन्मदिन की बधाई दी थी. इसी के बाद से कयासों का दौर शुरू हो गया था,योगी को बधाई देते हुए जितिन प्रसाद ने लिखा था, ”उ.प्र. के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं. हम सदैवआपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।,,

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कौन हैं जितिन प्रसाद?

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में पैदा हुए 48 साल के जितिन प्रसाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस के दिवंगत नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं, प्रसाद ने अपना राजनीतिक करियर साल 2001 में कांग्रेस के युवा संगठन यूथ कांग्रेस के साथ महासचिव के तौर पर शुरू किया था साल 2004 में उन्होंने अपने गृह जिले शाहजहांपुर से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता।

अपने पहले कार्यकाल में जितिन प्रसाद को कांग्रेस सरकार में इस्पात राज्य मंत्री बनाया गया, वे मनमोहन सिंह सरकार में सबसे युवा मंत्रियों में से एक थे. साल 2009 में उन्होंने धरौहरा से चुनाव लड़ा, उन्होंने मीटर गेज लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने का वादा किया. जिससे उन्हें भरपूर जनसमर्थन मिला. उन्होंने दो लाख वोट से जीत हासिल की थी।

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यूपीए सरकार के दौरान जितिन प्रसाद ने कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली और एक साल तक इस्पात मंत्रालय संभालने के बाद वे 2009 से 2011 तक वो सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री भी रहे 2011-12 में उन्होंने पेट्रोलियम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गयी, 2012-14 तक जितिन, मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री भी रहे, साल 2008 में इस्पात मंत्री रहते हुए उन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र में एक स्टील फैक्ट्री भी लगाने का भरकश प्रयास किया लेकिन सफल नही हुये।

जितिन प्रसाद अपनी पीढ़ी के तीसरे नेता हैं, इससे पहले उनके दादा ज्योति प्रसाद कांग्रेस पार्टी के नेता रहे और स्थानीय निकायों से लेकर विधानसभा तक कांग्रेस के नेतृत्व का किया। इसके साथ ही उनके पिता जितेंद्र प्रसाद भी कांग्रेस में बड़े नेता रहे. उनके पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार का भी सराहनीययोगदान दिया।

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जितिन प्रसाद 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार मिली और इसके साथ ही साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा. हार का सिलसिला 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जारी रहा है और उन्हें बीजेपी के करारी हार मिली. खास बात ये है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राज्य का प्रभारी नियुक्त किया था, लेकिन वहां कांग्रेस अपना खाता खोलने में नाकाम रही थी. यूपी पंचायत चुनाव में भी वो अपने इलाके में कांग्रंस को जीत नहीं दिला सके थे। इनके पूर्वज कांग्रेश के सच्चे सिपाही रहे चाहे वह नेहरू जी का समय रहा हो या इंदिरा जी का या फिर राजीव गांधी का उसी क्रम में चलते हुए इन्होंने भी राहुल गांधी का आखिरी दम तक साथ दिया लेकिन वर्तमान समय में यह कांग्रेस में हाशिए पर थ।

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