चंपावत
चम्पावत जनपद के देवीधूरा में आयोजित होने वाली विश्व प्रसिद्ध बग्वाल आखिरकार सांकेतिक रूप में आयोजित हुई।
देवीधूरा के खोलीखांड दूबाचौड़ मैदान में आयोजित होने वाली बग्वाल इस वर्ष लगभग 6 मिनट तक चली। चारों खामों के प्रतिनिधि दो समूहों में विभक्त होकर मां के जयकारों के साथ बग्वाल खेलने लगे। शुरू में फलों के साथ चल रही बग्वाल पाषाण में तब्दील हो गई। 11:30 बजे शुरू हुई बग्वाल लगभग 11:36 तक चली। और रणबांकुरों के बीच फलों के साथ ही पत्थर युद्ध हुआ।
देवीधूरा स्थित मां वाराही देवी मंदिर में प्रतिवर्ष रक्षाबंधन के रोज बग्वाल मेले का आयोजन होता है। इस वर्ष कोरोना के कारण मेला भव्य रूप में नहीं मनाया जा सका। लेकिन बग्वाल की परंपरा आखिरकार नहीं टूट पाई और सांकेतिक रूप में फल-फूलों के साथ ही पत्थरों की वर्षा हुई।
पीठाचार्य कीर्ति बल्लभ जोशी के बुलावे के बाद चारों खामों के चुनिंदा 11-11 प्रतिनिधियों ने फर्रों के साथ मंदिर की परिक्रमा की और वह खोलीखांड दूबाचौड़ मैदान पर बग्वाल के लिए एकत्रित हो गए। मां वाराही की अपार शक्ति का ही परिणाम था कि आखिरकार सांकेतिक रूप में बग्वाल का आयोजन हो ही गया और परंपरा टूटने से बच गई। मंदिर कमेटी और प्रशासन के बेहतर सामंजस्य से बग्वाल मेला सांकेतिक रूप में शांतिपूर्वक तरीके से आयोजित हो सका। अलबत्ता, कोरोना महामारी के चलते देवीधूरा में भव्य मेले का आयोजन नहीं हो सका और पिछले वर्षों की तरह रोमांचक भरी बग्वाल देखने को नहीं मिल सकी।
अनुशासन और नियमों का पालन कर बग्वाली वीरों ने मां वाराही के प्रति अपनी अटूट आस्था और श्रद्धा का परिचय दिया। लाखों श्रद्धालुओं ने मंदिर कमेटी के बग्वाल का सांकेतिक आयोजन करने के फैसले का स्वागत करते हुए इस वर्ष मां वाराही की पूजा अर्चना घर पर रहकर की और सम्पूर्ण विश्व को कोरोना मुक्त करने के लिए मातारानी से प्रार्थना की। नियमों का पालन करते हुए भक्तों ने एक बार फिर मां वाराही पर अपनी गहरी व अटूट आस्था का परिचय दिया है। जिसकी चर्चा व सराहना जमकर हो रही है।
मंदिर कमेटी के मीडिया प्रभारी दीपक बिष्ट ने बताया कि बग्वाल का कोई दूसरा विकल्प मौजूद नहीं है, लिहाजा अनुशासन के साथ सांकेतिक रूप में बग्वाल आयोजित हो सकी। पूर्व ब्लाक प्रमुख व मंदिर कमेटी के संरक्षक लक्ष्मण सिंह लमगडिय़ा ने कहा कि शांतिपूर्ण रूप में बग्वाल का आयोजन अनुशासन का परिचायक है और यह क्षेत्र के लिए गौरव की बात है कि परंपरा नहीं टूट सकी। इस दौरान देवीधूरा के ग्राम प्रधान ईश्वर सिंह, छात्रसंघ अध्यक्ष प्रकाश मेहरा, सनातन के राष्ट्रीय प्रचारक सुनील जोशी, बीडीसी दीपक चम्याल आदि लोग व्यवस्था बनाने में जुटे रहे।