उत्तराखण्ड

ब्रेकिंग-किसान भाईयों के लिए खुशखबरी – अब सीधें करे खेतों मे धान की बुवाई, वैज्ञानिको ने सुझाई किसानों को तकनीक

कृषि श्रमिकों के पलायन एकमात्र विकल्प है धान की सीधी बुवाई
पंत विवि के कृषि वैज्ञानिकों ने सुझाई किसानों की तकनीक

पंतनगर(सुनील श्रीवास्तव)
एक ओर जहां आज देशा वैश्विक महामारी कोरोना वायरस कोविड-19 से चपेट में आ गया है। वहीं इसके चलते कृषि श्रमिकों का पलायन भी जारी है। ऐसे में किसानों के लिए चिंता का विषय है कि कृषि श्रमिकों के अभाव में धान का रोपण कार्य कैसे हो सकेगा। इसके लिए पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने धान की सीधी बुवाई का विकल्प किसानों को सुझाया है।
धान की खेती आमतौर पर रोपण विधि से की जाती है जिसमें कृषि श्रमिकों की अधिक आवश्यकता होती है। अभी कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लॉकडाउन हो रहा है और श्रमिक सब अपने-अपने घरों को चले गए हैं। ऐसे में धान उत्पादन की सीधी बुवाई तकनीक किसानों के लिए कारगर सिद्व होगी जिससे पानी की बचत व कम श्रमिकों के उपयोग के साथ वही उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं जो रोपण विधि द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। विश्वविद्यालय के फसल अनुसंधान केंद्र के संयुक्त निदेशक डॉ. वीरेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि धान की सीधी बुवाई से प्रक्षेत्र में खरपतवारां की सघनता ज्यादा होती है। जिसे शाकनाशियों का प्रयोग कर निजात पाई जा सकती है। सीधी बुवाई करने से न तो नर्सरी का लफड़ा, ना कदेड़ और रोपाई की भी आवश्यकता पड़ती है। इस विधि में गेहूं की तरह ही खेत तैयार कर कुछ ही समय में बड़े प्रक्षेत्र की बुवाई की जा सकती है। यही नहीं सीधी बुवाई करने से 25-30 प्रतिशत पानी का भी कम उपयोग होता है।

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कम श्रमिक, कम डीजल एवं कम पानी के साथ अच्छा उत्पादन प्राप्त हो जाता है। अतः वर्तमान में कृषि श्रमिकों के पलायन को ध्यान में रखते हुए किसानों को धान की सीधी बुवाई तकनीक को अपनाना अत्यधिक लाभकारी सिद्ध होगा। यदि सीधी बुवाई विधि वैज्ञानिक तौर तरीकों से की जाती है तो 3-5 प्रतिशत उपज भी अधिक प्राप्त होगी, यही नहीं इस तकनीक से फसल भी 8-10 दिन पहले ही परिपक्व हो जाती है।

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