बागेश्वर
जिलाधिकारी विनीत कुमार ने जनपद में नवीन पहल करते हुए कृषि विभाग को इंडस्ट्रियल हैम्प कल्टीकेशन पायलट प्रोजेक्ट हेतु 10 लाख 50 हजार 753 रूपये की धनराशि दी है।
जनपद में कृषकों द्वारा जंगली जानवरों, बन्दरों आदि से फसलों को नुकसान पहुॅचायें जाने तथा बंजर हो रही जमीन के कारण कृषकों के आजीविका पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभाव को सुधारने के लिए जिलाधिकारी द्वारा कृषि विभाग को परम्परागत फसलों के साथ साथ वाणिज्यिक फसलों के उत्पादन हेतु भी नये पायलट प्रोजेक्ट तैयार करने के दिशा निर्देश दिये थे ताकि पर्वतीय भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप ऐसे फसलों का भी उत्पादन किया जा सके जिन्हें जंगली जानवर, सुअर आदि नुकसान न पहुॅचा सके और जिन्हें बंजर हो रही भूमि में भी उत्पादित किया जा सके, इसी क्रम में कृषि विभाग द्वारा बागेश्वर के खाती व मनकोट क्षेत्र के अन्तर्गत इंडस्ट्रियल हैम्प कल्टीकेशन पायलट प्रोजेक्ट के तहत लगभग 40 किसानों को सम्मलित करते हुए प्राजेक्ट तैयार कर जिलाधिकारी से धनराशि की मॉग की गयी थी जिस पर जिलाधिकारी ने प्राथमिकता से संज्ञान लेते हुए कृषि विभाग को 10 लाख 50 हजार 753 रूपये की धनराशि अवमुक्त की है।
इस संबंध में जिलाधिकारी द्वारा कृषि विभाग को यह भी निर्देश दिये है कि इस नवीन पायलट प्रोजेक्ट की धरातलीय सफलता को सुनिश्चित करने के लिए साथ ही किसानों को विभिन्न प्रकार की तकनीकी एवं वित्तीय मार्गदर्शन हेतु एक बहुविभागीय समिति का गठन किया गया है जिसमें मुख्य कृषि अधिकारी, जिला आबकारी अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी, महाप्रबन्धक उद्योग के साथ-साथ दो प्रगतिशील किसान दिनेश पाण्डेय व राजेश चौबे भी नामित किये गये है। यह समिति उक्त पायलट प्रोजेक्ट के लिए किसानों का समूह बनाते हुए उनका कोआपरेटिव रजिस्ट्रेशन कराकर उन्हें लाइसेंस आदि दिलाना सुनिश्चित करेगी, साथ ही उत्पादित उत्पाद की मार्केटिंग आदि का कार्य कराना सुनिश्चित करेगी।
इस प्रोजेक्ट के अन्तर्गत प्रथम चरण के रूप में खाती व मनकोट के एक हैक्टेयर भूमि को चयनित किया गया है जिसके अन्तर्गत 02 पालिंग हाउस का निर्माण, सिंचाई टैंक, जल पंप आदि भी स्थापित किया जाना प्रस्तावित है इसके अतिरिक्त किसानों को इस संबंध में प्रशिक्षण देने, फर्टिलाइजर्स उपलब्ध कराने तथा उन्नत किस्म के बीज आदि सभी व्यवस्था भी इस प्रोजेक्ट के माध्यम से कृषकों को निशुल्क उपलब्ध करायी जायेगी।
इस नवीन पहल से जहॉ एक ओर किसानों की बंजर हो रही भूमि पर उत्पादकता बढ सकेगी वहीं दूसरी ओर किसानों की आजीविका में गुणात्मक वृद्धि होगी, जिससे 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को धरातलीय स्तर पर प्राप्त करने में सफलता मिल सकेगी, साथ ही जंगली जानवरों आदि द्वारा फसलों को पहुॅचाये जाने वाले नुकशान से भी बचा जा सके।
