उत्तराखण्ड

बिग ब्रेकिंग-: अफगानिस्तान में रह रहे उत्तराखंड के नागरिकों को वापस बुलाने के लिए सरकार ने प्रयास किए तेज , अफगानिस्तान से लौटे उत्तराखंड के लोगों ने इस तरह बयां किया अपना दर्द ।।

देहरादून :
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड के लोगो को अफ़गानिस्तान से वापस बुलाने के प्रयास तेज कर दिए हैं इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने आदेश जारी करते हुए कहा कि उनको वापस लाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा जिसको लेकर राज्य सरकार ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है सरकार ने कहा कि जो लोग अफगानिस्तान में रह गए हैं और स्वदेश वापस आना चाहते हैं, उनके परिजन संबंधित व्यक्ति का नाम, पासपोर्ट व अन्य विवरण सहित अपने जिले के जिलाधिकारी या एसएसपी को शीघ्र सूचित करें। अपर मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन ने कहा है कि हेल्पलाइन 112 पर भी सूचित किया जा सकता है। उत्तराखंड सरकार, केंद्र सरकार के सहयोग से अफ़गानिस्तान में रह गये अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी हेतु प्रयासरत है।

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उधर अफगानिस्तान से वापस देहरादून पहुंचे हुए युवकों ने वहां की स्थिति बयां करते हुए कहा कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हालात खराब हैं। काबुल में उत्तराखंड के भी 100 से अधिक लोग फंसे हुए हैं। वहीं बता दें कि काबुल स्थित ब्रिटिश दूतावास की सुरक्षा में तैनात सुनील थापा और भूपेंद्र सिंह चार दिनों के लगातार हवाई सफर के बाद देहरादून लौटे। उन्होंने अपने परिवार और मीडिया को अपनी आप बीती सुनाई। सुनील थापा और भूपेंद्र काबुल ने इस यात्रा को जीवन में कभी नहीं भूलने वाली घटना बताई।

आपको बता दें कि डाकपत्थर निवासी सुनील थापा और बाडवाला निवासी भूपेंद्र सिंह ब्रिटिश एंबेसी की सुरक्षा में तैनात थे जो की बुधवार को सकुशल देहरादून स्थित अपने घर पहुंचे। उन्होंने तालिबान की हरकतों और अफगानिस्तान की स्थिति के बारे में परिवार औऱ मीडिया को बताया। उनकी आंखों में आंसू छलक उठे।

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आपको बता दें कि सुनील थापा सेना(गोरखा रेजिमेंट) से रिटायर्ड हैं। उन्होंने बताया कि काबुल में तालिबानी कार्रवाई को देखते हुए पिछले 15-20 दिनों से सभी देशों के दूतावासों में हलचल शुरू हो गई थी। इस बात का अनुमान किसी को नहीं था कि इतना जल्दी सब कुछ बदल जाएगा। अफगानिस्तान में स्थिति खराब है। बताया कि 13 अगस्त की रात ब्रिटिश अधिकारियों ने उन्हें अचानक तुरंत काबुल छोड़ने का आदेश दिया जिससे वो डर गए कि आखिर ये क्या हो रहा है।

दोनों ने बताया कि ब्रिटिश दूतावास के अधिकारियों ने 14 अगस्त को सबसे पहले उनके ग्रुप को काबुल स्थित अमेरिका के एयर बेस पहुंचाया, वहां से ब्रिटिश मालवाहक जहाज से उन्हें दुबई ले जाया गया। दुबई के हवाई अड्डे पर कुछ घंटे रुकने के बाद उन्हें लंदन ले जाया गया। लंदन में लगभग 10 घंटे उन्होंने हवाई अड्डे पर बिताए। हिथ्रो हवाई अड्डे पर सभी कोरोना जांच हुई। इसके बाद उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट ले जाया गया। बताया कि 14 से 18 तारीख तक के इस 4 दिनों के सफर में वह सिर्फ हवाई जहाज और एयरपोर्ट के वेटिंग रूम में ही रहे। इन चार दिनों की यात्रा में खाना, आराम करना औऱ सोना जैसे वो भूल गए थे।

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दोनों ने जानकारी दी कि करीबन 100 से अधिकर भारतीय वहां फंसे हैं औऱघर लौटने के इंतजार में हैं। उन्हे सरकार से काफी उम्मीद है कि वो उन्हें वापस अपने वतन लाएंगे।

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