हरिद्वार में रेलवे लाइन के डबल ट्रैक बुनने के बाद गुरुवार को मुख्य सुरक्षा आयुक्त के ट्रायल के दौरान ट्रेन से कटकर चार लोगों की मौत हो गई. हादसा जमालपुर कलां गांव के पास हुआ, जब परीक्षण के लिए चलाई गई रेलगाड़ी 100 से 120 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से गुजर रही थी. उसकी चपेट में आकर रेलवे लाइन से गुजर रहे चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई.। घटना में रेलवे की एक बड़ी लापरवाही उजागर हो रही है रेल ट्रैक के किनारे क्षेत्र के लोगों को रेल ट्रेक के नजदीक ना आने की यदि मुनादी कर दी गई होती तो इस तरह का हादसा यहां नहीं होता ।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हरिद्वार में ट्रेन के नीचे आने से कुछ व्यक्तियों की दुखद मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए जिलाधिकारी को घटना की मजिस्ट्रेट जांच व घायलों के उपचार की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं।
हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सेंथिल अवूदई कृष्ण राज एस ने हादसे में चार व्यक्तियों के मारे जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि फिलहाल मृतकों की शिनाख्त की जा रही है.।
गौरतलब है कि हरिद्वार-लक्सर के बीच डबल रेलवे लाइन बिछाई गई है. इस पर तेज गति की रेलगाड़ी चलाकर लाइन का परीक्षण किया जा रहा था. इसके लिए दिल्ली से रेलगाड़ी लाई गई ।
हादसे के बाद क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई. घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और रेलवे पुलिस मौके पर पहुंच गई. फिलहाल क्षत-विक्षत शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा जा चुका है.
लक्सर-हरिद्वार रेल मार्ग पर ट्रैक के दोहरीकरण का कार्य दो साल से चल रहा था. अभी तक इस रूट पर 50 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से ही ट्रेनें गुजरती रही हैं. दोहरीकरण के बाद 10 जनवरी से ट्रेनों की स्पीड दोगुनी यानि 100 किलोमीटर प्रतिघंटा होनी है. गौरतलब है कि रेलवे हमेशा सीआरएस ट्रायल के समय सिर्फ अखबार में विज्ञापन छपवा कर रेल ट्रैक के समीप रहने वाले लोगों को सूचित करता है लेकिन जमीनी हकीकत यहां पर बिल्कुल भी नहीं दिखाई देती तथा ग्रामीण क्षेत्र में किसी भी तरीके की मुनादी नहीं की जाती जिससे लोग रेल ट्रैक पर अक्सर बैठे रहते हैं और इस तरह के हादसे होते हैं ।।