देहरादून-:
साहित्य जगत से एक दुखद खबर आ रही है वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित, मंगलेश डबराल का बुधवार को निधन हो गया है। आज उन्होंने गाजियाबाद में इलाज चल रहा था लेकिन मैं बाद में एम्स में भर्ती कराया गया जहां उन्होंने अंतिम सांस ली वह पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे तथा उनका इलाज चल रहा था।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, हिंदी भाषा के प्रख्यात लेखक, कवि और पत्रकार मंगलेश डबराल के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने श्री मंगलेश डबराल के निधन को हिन्दी साहित्य को एक बङी क्षति बताते हुये दिवंगत आत्मा की शांति व शोक संतप्त परिवार जनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
मंगलेश डबराल समकालीन हिन्दी कवियों में सबसे चर्चित नाम हैं। इनका जन्म 14 मई 1949 को टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड के काफलपानी गांव में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा देहरादून में हुई थी। दिल्ली आकर हिन्दी पैट्रियट, प्रतिपक्ष और आसपास में काम करने के बाद वे भोपाल में मध्यप्रदेश कला परिषद्, भारत भवन से प्रकाशित साहित्यिक त्रैमासिक पूर्वाग्रह में सहायक संपादक रहे।
इलाहाबाद और लखनऊ से प्रकाशित अमृत प्रभात में भी कुछ दिन नौकरी की. सन् 1963 में जनसत्ता में साहित्य संपादक का पद संभाला। कुछ समय सहारा समय में संपादन कार्य करने के बाद आजकल वे नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े हुए थे। मंगलेश डबराल के पांच काव्य संग्रह प्रकाशित हुए हैं। पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज भी एक जगह है और नये युग में शत्रु। इसके अतिरिक्त इनके दो गद्य संग्रह लेखक की रोटी और कवि का अकेलापन के साथ ही एक यात्रावृत्त एक बार आयोवा भी प्रकाशित हो चुके हैं।




