लॉकडाउन: KMOU की आय शून्य हो जाती है, वाहन ऑपरेटरों पर स्टॉक देयता
हल्द्वानी।
नोबेल कोरोना वायरस कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते उत्तराखंड में 81 वर्ष पुरानी वटवृक्ष के रूप में स्थापित कुमाऊं मोटर ऑनर्स यूनियन की लॉक डाउन के चलते नीव हिलने लगी है अपनी शाखाओं से करीब 250 वाहन स्वामियों को छांव देने वाली गढ़वाल एवं कुमाऊं की धड़कन अब मंद पड़ने लगी है।

गौरतलब है कि कुमाऊ मोटर्स मालिकों के संघ को कुमाऊं क्षेत्र के पर्वतीय मोटर मार्ग के लिए एक जीवन रेखा माना जाता है।कंपनी कुमाऊं क्षेत्र के पूरे पर्वतीय मार्गों में यात्री वाहनों का संचालन करती है जिसमें गढ़वाल क्षेत्र के चुनिंदा पर्वतीय मोटर मार्ग शामिल हैं।तथा इसकी स्थापना वर्ष 1939 में हुई थी जो पर्वतीय लोगों के रोजगार सृजन का मुख्य स्त्रोत है।
कोविड -19 लॉकडाउन के कारण, कुमाऊ मोटर्स ऑनर्स की सभी बसों के पहिए थमें हुए हैं जिसके कारण कंपनी शून्य आय से पिछले दो महीनों से अपने कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नहीं कर पाई है।इस समय, कंपनी के साथ पंजीकृत वाहन ऑपरेटरों को शून्य आय के बावजूद देनदारियों का बोझ पड़ा है क्योंकि 22 मार्च को जनता कर्फ्यू दिवस के बाद से सार्वजनिक परिवहन सेवा गतिरोध में आ गई थी।इन देनदारियों में ड्राइवर और कंडक्टरों का वेतन, वाहन कर, बीमा, फिटनेस, परमिट, प्रदूषण प्रमाणपत्र और बैंक की मासिक किस्तें शामिल हैं।

इस प्रकार, अब तक प्रत्येक वाहन ऑपरेटर पर लगभग एक लाख रुपये की देनदारी बन गई है और समय के अनुसार बढ़ रही है।
वाहन संचालक अब अपने वाहनों को बेचने में ‘सुकून’ का अनुभव कर रहे हैं।वर्ष 1973 से केएमओयू संस्था के सदस्य वाहन संचालक बहादुर सिंह बिष्ट का कहना है कि वह पिछले 47 साल में पहली बार कंपनी को ऐसे चिंताजनक हालात में देख रहे हैं।
उन्होंने बताया कि वाहनों को विक्रय करने के इच्छुक वाहन संचालकों को क्रेता ढूंढने पर भी नहीं मिल पा रहे हैं।
श्री बिष्ट दुखी भाव से कहते हैं कि ‘प्रदेश सरकार को चाहिये की कुमाऊं मंडल की लाइफ लाइन कहे जाने वाली इस संस्था को जीवित रखने हेतु यथासंभव आर्थिक पैकेज प्रदान करने हेतु शीध्र घोषणा करनी चाहिये।

कंपनी के पास हल्द्वानी, बागेश्वर, चंपावत, रामनगर रानीखेत, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ में बस स्टेशन हैं।
कंपनी का मुख्य कार्यालय हल्द्वानी से पांच किलोमीटर दूर काठगोदाम में है कंपनी के साथ पंजीकृत लगभग 250 वाहन ऑपरेटरों ने कमीशन के रूप में प्रत्येक यात्रा में की गई कुल बुकिंग का सात प्रतिशत जमा किया।
यह कंपनी की आय का स्रोत है क्योंकि आयोग सभी खर्चों को वहन करता है, जिसमें कर्मचारियों का वेतन, कर्मचारियों का भविष्य निधि योगदान और साथ ही अन्य खर्च भी शामिल हैं।
लॉकडाउन की घोषणा के बाद से यात्री वाहनों के संचालन को बंद करने के साथ दो महीने से अधिक समय तक कंपनी की कमाई शून्य रही है।इसलिए लगभग 165 कर्मचारियों को पिछले दो महीनों से वेतन नहीं मिला है।भविष्य में यात्री वाहन व्यवसाय में कोई सुधार नहीं होने को देखते हुए, कंपनी प्रबंधन और वाहन संचालक अब इस 81 साल पुरानी मोटर कंपनी को जीवित रखने के लिए सरकार के आर्थिक पैकेज पर निर्भर हैं।




