देहरादून/पंतनगर:-
विधायक राजेश शुक्ला ने आज विधानसभा कार्यवाही के दूसरे दिन नियम 53 के तहत बजट के अभाव में दुर्दशा का शिकार हो रही गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का मुद्दा व नियम 300 के अंतर्गत उत्तराखंड बीज एवं तराई विकास निगम के कर्मचारियों को 3 माह से वेतन नहीं मिलने का मुद्दा सदन में उठाया।
विधायक राजेश शुक्ला ने आज सदन की कार्रवाई के दौरान नियम 53 के तहत पंतनगर विश्वविद्यालय में बजट के अभाव का मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रदेश के पंतनगर में स्थापित पंडित गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर उधमसिंहनगर जो मेरी विधानसभा किच्छा में स्थित है वर्तमान में बजट के अभाव में दुर्दशा का शिकार है, विश्वविद्यालय द्वारा मांगे गए बजट के पर्याप्त मात्रा में ना मिलने से विश्वविद्यालय में आउटसोर्सिंग में कार्य कर रहे लगभग 2000 श्रमिकों को इस कोरोना काल मे 20 कार्य दिवस भी नहीं मिल पा रहे हैं जिससे उनके परिवारों के सामने ना केवल जीवनयापन का संकट है बल्कि विश्वविद्यालय के तमाम कार्य प्रभावित हो रहे हैं। बजट के अभाव में विश्वविद्यालय के हॉस्पिटल, वेटरनरी हॉस्पिटल व अन्य प्रयोगशालाओं में नियमित कार्य नहीं हो पा रहे हैं, विश्वविद्यालय के अधिकांश भवन, मार्केट भवन जो 1960 से स्थापित है उसकी मरम्मत व मेंटेनेंस भी नहीं हो पा रहा है, सड़कों का हाल बुरा है अधिकारियों/ कर्मचारियों के आवास, छात्रावास व अन्य सभी भवन बुरी हालत में है। एशिया की ख्यातिलब्ध देश का पहला विश्वविद्यालय जिसे हरित क्रांति का गौरव मिला वह उपेक्षा का शिकार होकर आज पांचवे रैंकिंग पर आ गया जो हमेशा प्रथम रहा करता था, बजट की कमी व घोर उपेक्षा के बावजूद वैज्ञानिक/शिक्षक/ छात्र/ कर्मचारी काम कर रहे हैं, उन्होंने प्रदेश के कृषि शिक्षा मंत्री से इसका संज्ञान लेकर पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय को पूर्व की भांति पर्याप्त बजट देने पर विचार करने का निवेदन किया साथ ही नियम 300 के तहत देश के उच्च कोटि के बीच उत्पन्न करने वाले उत्तराखंड बीज एवं तराई विकास निगम हल्दी पंतनगर के कर्मचारियों के विषय में बोलते हुए कहा कि कर्मचारियों को गत 3 माह से वेतन नहीं मिला है, स्वयं कृषि विभाग ने जो बीज टीडीसी से खरीदा है उसका भी लगभग ₹6 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान लंबित है ऐसे में पूर्व में घाटा झेल चुके ख्यातिलब्ध निगम को अनेक कठिनाई झेलनी पड़ रही है, कोरोना संकट व अन्य विपरीत परीस्थितियों के बीच टीडीसी के कर्मचारियों को वेतन ना मिलने से अत्यंत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, पूर्व में टीडीसी के जिन आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को राज्य सरकार के द्वारा मंडी में समायोजित किया गया था उनमें से कई कर्मचारियों को वहां से हटा देने से उनके सामने परिवार पालने की कठिनाई उत्पन्न हो गई है, कहा कि क्या प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री जी इस से अवगत हैं तथा सरकार इस संबंध में क्या कदम उठा रही है कि टीडीसी कर्मचारियों को समय पर उनका भुगतान मिले तथा इस प्रतिष्ठित निगम जिसने देश भर की कृषि को उन्नत बीज देकर हरित क्रांति का गौरव दिलाया उस निगम को सरकार अनुदान देकर अपने पैरों पर खड़ा करने का विचार करेगी और मंडी में समायोजित किए गए टीडीसी के उन कर्मचारियों जिन्हें मंडी ने निकाल दिया उनको टीडीसी में बहाल करेगी।
विधायक शुक्ला के सवालों का सदन में जवाब देते हुए कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि विधायक राजेश शुक्ला द्वारा उठाए गए दोनों मामले उनके संज्ञान में है तथा इस संबंध में उनके द्वारा आवश्यक कार्यवाही की गई है आतिशीघ्र टीडीसी कर्मचारियों का वेतन जारी हो जाएगा एवं हरित क्रांति की जननी पंडित गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय के बजट के संबंध में वह जल्द ही प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के स्वास्थ्य होने के बाद वार्ता कर जारी कराएगे।




