पंतनगर विश्वविद्यालय में मनायी गयी पंत जी की 133वीं जयंती
पंतनगर। सुनील श्रीवास्तव
पंडित गोविन्द बल्लभ पंत की 133वीं जयंती के अवसर पर पंतनगर विश्विद्यालय के नाहेप प्रांगण में विश्वविद्यालय के कुलसचिव, डा. जे. कुमार, तथा विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाता, निदेशकगण, अधिकारी एवं कर्मचारी ने पंडित पंत जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति, रामनाथ कोविन्द, प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी, राज्यपाल ,श्रीमती बेबी रानी मौर्य; उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री, त्रिवेन्द्र सिंह रावत; सांसद सारण लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, राजीव प्रताप रूड़ी एवं कृषि मंत्री, सुबोध उनियाल के प्राप्त संदेश अधिष्ठाता मत्स्य विज्ञान, डा. आर. एस. चैहान, अधिष्ठाता स्नातकोत्तर, डा. के.पी. रावेरकर; अधिष्ठात्री गृह विज्ञान, डा. अल्का गोयल; अधिष्ठाता कृषि व्यवसाय प्रबंधन महाविद्यालय, डा. आर.एस. जादौं, निदेशक प्रसार शिक्षा, डा. ए.के. शर्मा एवं निदेशक शोध, डा. ए.एस. नैन द्वारा प्रस्तुत किये एवं पढ़े गये।
इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए कुलसचिव, डा. जे. कुमार ने कहा कि पंत जी एक उत्कृष्ट नेता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में विभिन्न पदों पर रहकर देश की सेवा के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का पूर्णरूप से निर्वाहन किया। डा. कुमार ने बताया कि देश के प्रथम कृषि विश्वविद्यालय के स्थापना में पंत जी का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है और हमें गर्व है कि पंत जी के नाम पर यह विश्वविद्यालय है। डा. कुमार ने बताया कि 1960 में इस विष्वविद्यालय की स्थापना जिस उद्देश्य के साथ हुई थी हमें हर्ष है कि उस उद्देश्य के तहत आज भी अपना योगदान दे रहा है। कृषि के विकास हेतु पंतनगर विश्वविद्यालय की स्थापना में उनके अविस्मरणीय योगदान के बारे में भी उन्होंने बताया, जिसके कारण देश की कृषि व आर्थिक स्थिति को मजबूती मिली। डा. कुमार ने सभी से आह्वान किया कि पंडित पंत के सपनों को पूरा करने एवं विश्वविद्यालय को आगे ले जाने के लिए संकल्प लें।

इससे पूर्व अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डा. बृजेश सिंह ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के महत्व के बारे में बताया। अधिष्ठाता कृषि, डा. एस.के. कश्यप ने पंत जी के जीवन पर संक्षिप्त परिचय दिया और बताया कि नाहेप के द्वारा इस प्रांगण में पंत जी की स्मृतियों पर आधारित संग्राहालय बनाया जायेगा। कार्यक्रम का संचालन पशुचिकित्सा एवं पशुपालन विज्ञान महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक, डा. अमन कम्बोज द्वारा किया गया।




