नैनीताल।
पिछले कई दिनों से नैना पीक में दरार पड़ने व समय-समय पर भूस्खलन होने की खबरों से चिंतित शासन द्वारा गठित आपदा प्रबंधन विभाग की उच्च स्तरीय समिति ने विशेषज्ञों की टीम ने स्थलीय निरीक्षण किया। टीम ने इलेक्ट्रिकल रेजेस्ट्रीवीटी इमेजनिग मशीन से जमीन के अंदर 21 मीटर की गहराई तक जमीन की स्केनिंग कर आंकड़े एकत्रित किए। टीम ने चायना पीक क्षेत्र में जाकर भू-स्खलन क्षेत्र के साथ ही पहाड़ी पर कई किलोमीटर तक पड़ी दरारों की
स्कैनिग की। मशीन से जमीन के भीतर मिट्टी व रॉक की
लेयर की जानकारी प्राप्त की गई। वैज्ञानिकों ने बताया कि क्षेत्र में थ्री-डी स्केनिंग भी की जाएगी। क्षेत्र में 140 मीटर तक मशीन से स्कैनिंग की गई है। क्षेत्र में दरारों की लंबाई 30 मीटर बताई जा रही हैं। साथ ही दरारों की चौड़ाई 40 सेमी बताई। विशेषज्ञों की टीम अगले चरण में स्केनिंग के आंकड़ो के आधार पर कार्य करेगी। वैज्ञानिकों ने कहा कि आंकड़ों की मदद से थ्री-डी स्केनिंग कर क्षेत्र के बचाव के लिए योजना तैयार की जाएगी। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी निदेशक पीयूष रौतेला के नेतृत्व में यहां पहुंची समिति में वाडिया इंस्टिट्यूट, आईबीआरआई रुड़की और जीएसआई के वरिष्ठ वैज्ञानिकों सहित कुल आठ सदस्य शामिल हैं। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शैलेश ने बताया कि समिति आज से रविवार तक सर्वे करेगी। बता दें कि नैना पीक की तलहटी का क्षेत्र संवेदनशील होता जा रहा है। इस वर्ष फरवरी में यहां भारी बोल्डर गिरे थे। मई में यहां लगभग 100 फुट लंबी और आधे से तीन फुट तक चौड़ी दरार नजर आई और 26 मई को टांकी बैंड के पास सड़क पर गहरे गड्ढे दिखाई दिए। इस मौके पर अधिशासी निदेशक उत्तराखंड राज्य आपदा आपदा प्रबंधन प्राधिकरण डॉ. पीयूष रौतेला,
निदेशक भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण डॉ. मृदुल श्रीवास्तव, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रूड़की डॉ. डीपी कानूनगो, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी से डॉ. विक्रम गुप्ता, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नैनीताल शैलेश कुमार शामिल थे।