उत्तराखण्ड

बड़ी खबर—: निजी चिकित्सालयों की कार्यशैली से डीएम हुए सख्त, कोविड-19 के बहाने उपचार में विलंब से हुई मौत को डीएम सविन बंसल ने लिया गंभीरता से, जांच के हुए आदेश ।

हल्द्वानी

निजी चिकित्यालयों मे गम्भीर रोगों से ग्रस्त रोगियों को बिना कोविड जांच किये हुये उपचार प्रदान नही किये जाने पर जिलाधिकारी श्री सविन बंसल ने कडी नाराजगी व्यक्त की। उनके संज्ञान मे आया कि निजी चिकित्सालयों की गम्भीर मरीजों के उपचार मे इस प्रकार की लापरवाही संवेदनहीनता से विगत सप्ताहों मे तथा कथित तीन मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। उन्होने कहा निजी चिकित्सालयों की लापरवाही व संवेदनहीनता से हुई तथा कथित तीन मरीजों के मृत्यु की जांच अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) की अध्यक्षता मे गठित टीम द्वारा कराई जा रही है साथ ही उन्होने मुख्य चिकित्साधिकारी व नगर मजिस्टेªट हल्द्वानी (अध्यक्ष आईआरटी) से अब तक निजी चिकित्यालयों द्वारा गम्भीर रोगियों का उपचार नही किया गया और रोगियों की मृत्यु हो गई, उन चिकित्सालयों के खिलाफ की गई कार्यवाही तलब की।
जिलाधिकारी श्री बंसल ने कहा कि निजी चिकित्सालयों द्वारा मरीजों के उपचार मे इस प्रकार की लापरवाही व संवेदनहीनता बरतने से जहां एक ओर आम जनता के स्वास्थ्य व जीवन को विपरीत रूप से प्रभावित किया जा रहा है वही दूसरी ओर जनपद की स्वास्थ्य व्यवस्था की छवि को भी धूमिल किया जा रहा है। उन्होने कहा कि निजी चिकित्सालयों द्वारा गम्भीर रोगियों मेंको बिना कोविड जांच किये हुये उपचार प्रदान नही किया जा रहा है तथा रोगियों से उपचार से पूर्व कोविड जांच सम्बन्धी प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है जो गम्भीर प्रकरण है। उन्होने कहा कि निजी चिकित्सालयों के लैब चिकित्सकों, तकनीशियनों को मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा माह अप्रैल कोविड 19 सेम्पलिंग की ट्रेनिंग भी दी गई थी तथा निजी चिकित्सालयों के सक्षम अधिकारियोें द्वारा इस आशय का प्रमाण पत्र भी दिया गया है कि उनका चिकित्सालय कोविड 19 सैम्पलिंग हेतु सक्षम है और यदि किसी आकस्मिक परिस्थिति मे कोई ऐसा मरीज आता है तो सम्बन्धित मरीज का कोविड 19 सैम्पल उनके चिकित्सालय द्वारा ही लिया जायेगा साथ ही चिकित्सालयों में कोविड 19 से निपटने हेतु आइसोलेशन वार्ड की स्थापना का भी प्र्रमाण पत्र निजी चिकित्सालयों द्वारा दिया गया है। उक्त के अतिरिक्त सक्षम स्तर से जनपद में कोविड 19 सैम्पलिंग हेतु निजी लैबों को भी अधिकृत किया गया है। इस हेतु शासनादेश भी निर्गत किये गये है।जिलाधिकारी ने कहा कि इसके बावजूद भी निजी चिकित्सालयों द्वारा गम्भीर रोगियों के उपचार में संवेदनहीनता लापरवाही बरती जा रही है जो गम्भीर बात है। उन्होने मुख्य चिकित्साधिकारी व नगर मजिस्ट्रेट का स्पष्टीकरण तलब किया है कि इस प्रकार की लापरवाही, संवेदनहीनता, अनुशासनहीनता का संज्ञान लेते हुये उन निजी चिकित्सालयों के विरूद्व आपदा प्रबन्धन अधिनियम 2005, उत्तराखण्ड एपेडमिक डिजीज, कोविड 19 रेगुलेशन 2020, एपेडमिक डिजीज एक्ट 1897 एवं आईपीसी की सुसंगत धाराओं के अधीन उनके स्तर से क्या कार्यवाही की गई है अथवा इन चिकित्सालयों के विरूद्व प्रतिकूल कार्यवाही करने हेतु सक्षम स्तर पर किस प्रकार की संस्तुति प्रेषित की गई है। यह भी स्पष्ट करने को निर्देेशित किया गया है कि निजी चिकित्सालयोें द्वारा गम्भीर रोगियों के उपचार मे की गई लापरवाही जिससे आम जनमानस का स्वास्थ्य विपरीत रूप से प्रभावित हुआ है तथा मानवीय जीवन मे संकट आया है और जनहानि भी हुई है, क्या उपयुक्त आचरण है, यदि नही तो उनकेे स्तर से इसका संज्ञान लेते हुये क्यों कार्यवाही नही की गई, क्या उनके द्वारा निजी चिकित्सालयों से कोविड सैम्पलिंग निजी लैब से कराने एवं आइसोलेशन वार्ड हेतु प्रमाण पत्र, शपथपत्र लिये गये है, यदि हां तो सम्बन्धित अभिलेख भी आख्या के साथ पांच दिन के भीतर प्रस्तुत करें। उन्होने कहा कि प्रकरण अत्यन्त ही महत्वपूर्ण प्रकृति का है तथा आम जनमानस के स्वास्थ्य से सम्बन्धित है अत् एव प्रकरण मे किसी प्रकार का कोई विलम्ब क्षम्य नही होगा।

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