पिथौरागढ़
सीमांत जनपद में अब कीवी फल की व्यापक संभावनाओं को देखते हुए जिलाधिकारी डा. विजय कुमार जोगदण्डे ने प्रयास तेज कर दिए हैं जिसके तहत आज ग्राम पंचायत मेलडुंगरी को किवी गांव बनाये जाने हेतु कलस्टर के रूप में ग्रामीणों को 2100 किवी के पौंध वितरित कर पौधारोपण का शुभारंभ जिलाधिकारी डा. विजय कुमार जोगदण्डे ने किया ।

जिलाधिकारी ने कहा कि जिस प्रकार से जनपद पिथौरागढ़ में ग्राम जजुराली को बड़ी इलायची हेतु, ग्रांम भटेड़ी को मुर्गी पालन एवं ग्राम डुंगरी को मत्स्य ग्राम के रूप में विकसित किया जा रहा है,उसी प्रकार ग्राम पंचायत मैल डुंगरी को भी किवी गांव के रूप में विकसित किया जाएगा जिलाधिकारी ने कहा कि वर्ष 2016-17 में ग्रांम सभा मेलडुंगरी में कृषि विभाग के माध्यम से वितरित किवी के पौधों से वर्तमान में फल उत्पादन होने के कारण ग्रामीणों द्वारा अपनी एक विशेष रूचि इस कार्य में दिखाते हुए आगे आये हैं। यह एक सराहनीय कदम है। इसको देखते हुए इस गांव को किवी गांव के रूप में विकसित किये जाने का निर्णय लिया गया है।
जिलाधिकारी ने कहा कि इस गांव से जो लोग पलायन कर गए हैं उन से संपर्क करके उन्हें भी वापस कीवी की खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा।
जिलाधिकारी ने सभी उपस्थित ग्रामीणों से अपील की कि वह आगे आकर सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर गांव को प्रगति के पथ पर आगे ले जाते हुए अपनी आजिविका को बढ़ायें। उन्होंने कहा कि आज बीज बोयेंगे तो कल निश्चित रूप से फल खाएंगे। जिलाधिकारी द्वारा गांव में कृषि एवं औद्यानिकी एवं पशुपालन के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों की सरहाना करते हुए ग्रामीणों को पूर्ण सहयोग प्रदान करने की बात कही। गोष्ठि को संबोधित करते हुए मुख्य कृषि अधिकारी अमरेंद्र चौधरी ने अवगत कराया कि वर्तमान में गांव में कुल 2100 किवी के पौधे उपलब्ध कराये गये हैं। कलस्टर आधार पर किवी के उत्पादन हेतु और अधिक पौधे गांव में उपलब्ध कराये जाएंगे। उन्होंने कहा कि देश में उत्पादित होने वाले सबसे उन्नत प्रजात के पौधे हिमांचल से मंगा कर उपलब्ध कराये गये हैं। उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा िकइस गांव को किवी गांव बनाये जाने हेतु सभी को सामुहिक रूप से कार्य करना होगा। इस हेतु कृषि विभाग की ओर से हर संभव मदद प्रदान की जायेगी।
गोष्ठी में कृषि विज्ञान केद्र गैना से आये किवी विशेषज्ञ डा. पी.के. चौरसिया ने किसानों को किवी के रोपण एवं उसके फायदे के बारें में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए अवगत कराया कि किवी फल मनुष्य के लिए बहुत फायदेमंद है। डेंगू होने पर प्लेटलेट्स कम हो जाने पर नियमित किवी खाने से प्लेटलेट्स बढ़ जाती हैं। किवी फल एक ऐसा फल है जो एक माह तक रखने पर भी खराब नहीं होता है। उन्होंने कहा कि इसका पौधा समुद्र तल से 900 से 1200 मीटर की ऊँचाई तक आसानी से हो जाता है। इसके पौधे हेतु 6 से 7 घण्टे की धूप चाहिए। किवी के पौधा रोपण हेतु नर और मादा दोनों प्रजाति के पौधों का रोपण करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस गांव में सबसे अच्छी प्रजाति एलिशन के पौधे दिये गये हैं, जिसका उत्पादन रोपण के 4 वर्ष बाद प्रारंभ हो जाता है। इसके अतिरिक्त डा. चैरासिया द्वारा किवी के उत्पादन संबंधित विभिन्न जानकारियां किसानों को दी गयी।




