दुधवा नेशनल पार्क पर्यटकों के दीदार को खुला नेशनल पार्क
लाक डाउन के बाद पर्यटक ले सकेंगे दुधवा घूमने का मजा
विशेष संवाददाता विश्वकान्त त्रिपाठी
लखीमपुर-खीरी।
उत्तर प्रदेश का विश्व विख्यात दुधवा नेशनल पार्क 01 नवंबर से पर्यटकों के भ्रमण के लिए खोल दिया गया है। पर्यटकों के स्वागत व भ्रमण के लिए की जाने वाली तैयारियों को पूरा करा विधिवत हुआ उद्घाटन। हालांकि देश के अन्य प्रमुख महानगरों से दुधवा को यातायात के साधनों की समुचित व्यवस्था कर ली गयी है। है, फिर भी भारी संख्यास्थानीय पर्यटकों का जमावड़ा दुधवा में लगा नेशनल पार्क के नए पर्यटन सत्र का उद्घाटन वन मंत्री दारा सिह ने दोपहर बाद आनलाईन हरी झंडी दिखाकर दुधवा,चूका, कर्तनिया घाट, सहित नबाब गंज पक्षी विहार का शुभारंभ किया।
वहीं दुधवा मे वन्य जन्तु संरक्षक राजीव गर्ग,पदेन संरक्षक के के सिह,तथा डी डी मनोज सोनकर ने हवन पूजन कर विद्वान आचार्य धनुष धारी दुवेदी के निर्देशन मे मुहूर्थ के अनुसार सायंम् तीन बजे फीता काटा इस मौके पर विभागीय अधिकारियों के अलावा तीन दर्जन से ऊपर पर्यटक मौजूद रहे।
विश्व पर्यटन मानचित्र पर स्थापित दुधवा नेशनल पार्क प्रकृति की अनमोल धरोहर के साथ विलुप्तप्राय वन्यजीवों की विभिन्न प्रजातियों सहित लगभग साढे चार सौ पंक्षियो को भी अपने आगोश में समेटे है।
यहा लगभग ,चार सौ किस्म के पक्षियों के साथ ही शिड्यूल वन की श्रेणी में चिन्हित बाघ एवं तेंदुआ के साथ ही हाथियों के झुण्ड को स्वच्छंद रूप से विचरण करते हुआ देखा जा सकता है। इस बार कोविड19 के चलते अधिक समय तक पर्यटकों के लिए पार्क बंद ही रहा था।
प्रदेश के एकमात्र विश्व प्रसिद्ध दुधवा नेशनल पार्क का 44 वां पर्यटन सीजन 1 नवंबर से शुरू हो गया है। दुधवा नेशनल पार्क एवं किशनपुर पशु विहार को 1987-88 में भारत सरकार के प्रोजेक्ट टाइगर परियोजना में शामिल करने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। भारत के राष्ट्रीय पार्को में चल रहे प्रोजेक्ट टाइगर में दुधवा का नाम दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। यहां चल चल रही विश्व की अनूठी गैंडा पुनर्वास परियोजना के गैंडा परिवार के 32 स्वछंद घूमते सदस्य पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बिंदु बने रहते हैं। इसी लिए हर साल बड़ी तादाद में सैलानी और वन्यजीव विशेषज्ञ यहां आते हैं। यूरोप, साइबेरिया आदि बर्फीले क्षेत्रों के विदेशी प्रवासी पक्षी भी शीतकाल के दौरान दुधवा पार्क के तालाबों एवं झीलों में देखे जा सकते हैं। इसमें यहां पाए जाने वाले बंगाल फ्लोरिकन एवं लेसर फ्लोरिकन नाम के दुर्लभ पक्षी भी दुधवा पार्क की पहचान बन चुके हैं। प्राकृतिक वैभव से परिपूर्ण दुधवा नेशनल पार्क के मनोहरी दृश्य देखने के साथ ही पशु-पक्षियों को कलरव को सुनकर पर्यटकों के लिए रोमांचकारी होता है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण नयनाभिराम नजारों सहित दुर्लभ जाति के वयंजीवों को स्वच्छंद विचरण करता हुआ देखा जा सकता है। दुधवा घूमने के लिए आने वाले पर्यटकों की पहली पसंद बाघ दर्शन की होती है, लेकिन धीरे-धीरे वनराज वाघ के दर्शन जब दुर्लभ होने लगे तो अब पर्यटकों का रूझान गैंडा दर्शन के लिए बढ़ने लगा है लेकिन बीते शनिवार को एक मादा अपने चार शावको के साथ किशन पुर मे देखी गयी जिसे पर्यटक़ो ने खूब सराहा।
दुधवा नेशनल पार्क की दक्षिण सोनारीपुर रेंज के 27 वर्ग किमी के वनक्षेत्र को ऊर्जाबाड़ से संरक्षित जंगल में गैंडा पुर्नवास परियोजना चलाई जा रही है
सन् 1984 में शुरू की गई विश्व की एकमात्र इस पुनर्वास परियोजना में इस समय 32 सदस्यीय गैंडा परिवार दुधवा आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बिंदु बना रहता है।
राइनो क्षेत्र में बाघ, बारहसिंघा, चीतल, पाढ़ा, काकड़ आदि वन्यजीवों के साथ ही आमाताल के आसपास कलरव करती हुई रंग बिरंगी चिड़ियों को भी देखा जा सकता है। यूरोप, साइबेरिया आदि बर्फीले क्षेत्रों के विदेशी प्रवासी पक्षी भी शीतकाल के दौरान दुधवा पार्क के तालाबों एवं झीलों में देखे जा सकते हैं। इसमें यहां पाए जाने वाले बंगाल फ्लोरिकन एवं लेसर फ्लोरिकन नाम के दुर्लभ पक्षी भी दुधवा पार्क की पहचान बन चुके हैं।
गैंडा दर्शन के लिए पार्क की टूरिस्ट गाड़ी दुधवा पर्यटन परिसर से पर्यटकों को सलूकापुर ले जाएगी। पर्यटकों को हर वर्ष की भांति गाइड भी उपलब्ध रहेगा। मगर इस सब का खर्च अलग से देना होगा।
वन अधिकारियों के अनुसार दुधवा आने वाले पर्यटकों का बेहतर और अच्छी सुविधाएं देने के प्रयास किए जाएगें, इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
इस के अतिरिक्त पार्क के अंदर सिर्फ खुली वाली जिप्सी कार को ही भेजा जायेगा।
*कैसे पहुंचे दुधवा नेशनल पार्क
ट्रेन द्वारा:
- दुधवा नेशनल पार्क के करीबी रेलवे स्टेशन दुधवा, पलिया और मैलानी हैं।
-दुधवा आने के लिए दिल्ली, मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर या फिर लखनऊ, सीतापुर व लखीमपुर तक ट्रेन से आना होगा।
सड़क यातायात: - इसके बाद 107 किमी सड़क यात्रा करनी पड़ती है।
- -सड़क मार्ग से दिल्ली, मुरादाबाद, बरेली, पीलीभीत, पूरनपुर, खुटार, मैलानी, भीरा, पलिया से होकर दुधवा पहुंचा जा सकता है।
बाॅक्स-
दुधवा नेशनल पार्क में आवास शुल्क
दुधवा वन विश्राम भवन-वातानुकूलित कक्ष संख्या एक 1000 रुपए विदेशी 3000 रुपए
विश्राम भवन कक्ष संख्या दो 750 रुपए, विदेशी 2250 रुपए
विश्राम भवन कक्ष संख्या 3,4,5 400 रुपए, विदेशी 1200 रुपए
थारूहट- एक व दो 500 रुपए, विदेशी 1500 रुपए
थारूहट- तीन से चौदह 400 रुपए, विदेशी 1000 रुपए
डारमेट्री- प्रति व्यक्ति 75 रुपए, विदेशी 225 रुपए
सोठियाना वन विश्राम भवन- 400 रुपए, विदेशी 1200 रुपए
लांग हट 200 रुपए, विदेशी 600 रुपए
सोनारीपुर वन विश्राम भवन प्रथम तल 400 रुपए, विदेशी 1200 रुपए
द्वितीय तल 300 रुपए, विदेशी 900 रुपए
बनकटी वन विश्राम भवन 300 रुपए, विदेशी 900 रुपए
किशनपुर वन विश्राम भवन 500 रुपए, विदेशी 1500 रुपए
सलूकापुर, मसानखंभ, बेलरायां, किला, बेलापरसुआ, वन विश्राम भवन 300 रुपए, विदेशी 900 रुपए
इसके अरिक्ति पलिया शहर मे तमा होटल व धर्मशाला भी है जहा ठहरा जा सकता है।
प्रवेश शुल्क
दुधवा नेशनल पार्क में प्रवेश शुल्क लागू दरें:-
दुधवा नेशनल पार्क में प्रवेश शुल्क प्रति व्यक्ति तीन दिन-100 रुपए, विदेशी-800 रुपए
बच्चा-60 रुपए, विदेशी-700 रुपए
अतिरिक्त दिन-40 रुपए, विदेशी 350 रुपए
किशनपुर वन्यजीव विहार में प्रवेश शुल्क प्रति व्यक्ति तीन दिन-50 रुपए, विदेशी 600 रुपए
बच्चा-30 रुपए, विदेशी-350 रुपए
अतिरिक्त दिन-40 रुपए, विदेशी-350 रुपए
कैमरा फीस पर्यटकों के लिए-निःशुल्क
कैमरा फीस मूवी एवं वीडीयो-5000 रुपए, विदेशी-10000 रुपए
फीचर फिल्म प्रतिदिन-100000 रुपए, विदेशी-150000 रुपए
डाक्युमेंट्री फिल्म प्रतिदिन-6000 रुपए, विदेशी-12000 रुपए
उपरोक्त के लिए सुरक्षा फीस- फीचर फिल्म-100000 रुपए, विदेशी- 150000 रुपए
डाक्युमेंट्री फिल्म-25000 रुपए, विदेशी-25000 रुपए
हाथी सवारी दो घंटा प्रति व्यक्ति- 150 रुपए, विदेशी-300 रुपए
मिनी बस 10 शीटर प्रति किमी-45 रुपए, विदेशी-90 रुपए
जीप 6 सीटर प्रति किमी-40 रुपए, विदेशी-80
रात्रि विश्राम हेतु प्रमुख होटल
इसके अतिरिक्त नजदीकी स्टेशन पलियाकलां में कई अच्छे होटल मौजूद हैं जहां पर पर्यटक रात्रि विश्राम कर सकते हैं। जिनमे से होटल रूपम, स्लीपइन, लैण्डमार्क, टाइगर डेन, शारदा होटल, अमर होटल व भारत लांज प्रमुख होटल हैं।