उत्तराखण्ड

बड़ा सम्मान,देश के अग्रणी जनवादी कवि बल्ली सिंह चीमा को पंजाब सरकार ने 2018 का साहित्य शिरोमणि पुरस्कार से नवाज़ ।।

देश के अग्रणी जनवादी कवि बल्ली सिंह चीमा को पंजाब सरकार द्वारा 2018 का साहित्य शिरोमणि पुरस्कार देने की घोषणा

देश के प्रसिद्ध जनकवि बल्ली सिंह चीमा को पंजाब सरकार ने 2018 का साहित्य शिरोमणि पुरस्कार देने की घोषणा की है। आज जबकि देश के किसान सड़कों पर आंदोलनरत हैं, ऐसे समय में पंजाब सरकार द्वारा जनकवि बल्ली सिंह चीमा को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार देकर सम्मानित करने की घोषणा करना सुखद है।

वर्तमान कालखंड में जब देश की राजनीति, समाज और साहित्य में जन-सरोकारों को नेपथ्य में धकेल दिया गया है, ऐसे में बल्ली सिंह चीमा को पंजाब सरकार द्वारा यह प्रतिष्ठित पुरस्कार देने का फैसला न सिर्फ उनकी साहित्य-साधना का सम्मान है, बल्कि सामाजिक सरोकारों को लेकर संघर्षशील लोगों को भी बल प्रदान करेगा।

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2 सितंबर, 1952 को पंजाब में अमृतसर जिले के चीमाखुर्द गाँव में जन्मे बल्ली सिंह चीमा दशकों से उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले में बाजपुर के पीर बख्शी मढैय्या गांव में बतौर एक सीमांत किसान खेती-बाड़ी करते हुए न सिर्फ जनपक्ष को अपनी कविताओं से बुलंद कर साहित्य-साधना में जुटे रहे हैं, बल्कि देशभर में जनांदोलनों में लगातार भागीदारी भी करते रहे हैं।

चीमा ने 1973 से पंजाबी और 1977 से हिंदी कविताएं लिखने की शुरुआत की थी। उनकी कविताओं के केंद्र में मुख्यत: किसानों, मजदूरों और समाज के शोषित वर्ग की पीड़ा मुखरित होती रही है। चीमा के अब तक 1—खामोशी के खिलाफ, 2—जमीन से उठती आवाज, 3—तय करो किस ओर हो, 4—हादसा क्या चीज है और
5—उजालों को खबर कर दो ये पांच काव्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।

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बल्ली सिंह चीमा के एक प्रसिद्ध जनवादी गीत—’ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के, अब अंधेरा जीत लेंगे लोग मेरे गांव के’ ने लगभग सम्पूर्ण उत्तर भारत के विभिन्न जनांदोलनों में लाखों कंठों से मुखरित होकर असंख्य संघर्षशील लोगों को ऊर्जावान बनाए रखने में मदद कर जनगीतों की महत्ता को सफलतापूर्वक रेखांकित किया है। इनका एक अन्य जनगीत—’तय करो किस ओर हो तुम; आदमी के पक्ष में हो या कि आदमखोर हो !’ भी अत्यंत लोकप्रिय है।

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अनेक पुरस्कारों से नवाजे गए बल्ली जी का पंजाब सरकार द्वारा पांच लाख रुपए के इस पुरस्कार सम्मानित करने की घोषणा पर कहना है कि ‘यह सम्मान मेरा नहीं, उस जनता का सम्मान है, जिसके लिए मैं लिखता हूं। मैंने हमेशा जनता के संघर्ष के बीच रहकर जनता के लिए लेखन किया है और आगे भी जनपक्षधर कवि के रूप में जन-संघर्ष से जुड़ा रहूंगा। मैं देश में चल रहे किसान आंदोलन का पूर्ण समर्थन करता हूं।’

जनकवि बल्ली सिंह चीमा जी को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं ! 💐 वरिष्ठ पत्रकार श्याम सिंह रावत जी की फेसबुक वॉल से

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