जरा हटके

पुलिस के उप निरीक्षक ने इस तरह से निभाया भाई का धर्म, गरीब परिवार की बेटी का किया विवाह,हो रही है इस पुण्य कार्य की हर जगह चर्चा ।।

पलिया ( खीरी)
सामाजिक ताने-बाने की मजबूत डोर अपनों से ही होती है यह डोरी और मजबूत हो जाए जब टूटती डोर को मजबूती के साथ कोई थाम ले उत्तर प्रदेश पुलिस के एक उपनिरीक्षक ने एक ऐसी टूटती डोर को मजबूती से पकड़ा जिसकी आज हर जगह चर्चा हो रही है, आपने वैसे तो पुलिस के बहुत सारे चेहरे देखे होंगे।लेकिन यह दो तस्वीरें पुलिस का जो चेहरा दिखा रहीं हैं वह आज के जमाने में बहुत ही कम देखने को मिलता है।लेकिन पुलिस के इस जांबाज उपनिरीक्षक ने अपनी

न्यायप्रियता,संवेदनशीलता और मानवता के जरिये समाज के सामने एक ऐसी मिसाल कायम की है जिसकी गूँज आज पूरे इलाके में सुनाई दे रही है।यहाँ हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के शारदा नदी से सटे शहर पलिया कोतवाली की पुलिस चौकी मझगईं के इंचार्ज हनुमन्त लाल तिवारी की।यह वर्दीधारी जितनी ईमानदारी के साथ अपनी पुलिस की ड्यूटी का निर्वहन करता है उतनी ही संजीदगी के साथ जरूरतमंदों की मदद भी करता है।यही वजह है कि यह वर्दीधारी किसी के लिये भाई, किसी के लिए बेटा तो किसी के लिए फरिश्ता बनकर जरूरत के समय मदद करने के लिए पहुंच जाता है। वाकया बीते साल तीन जुलाई का है।तब दारोगा हनुमन्त तिवारी नीमगांव थाने की सिकंदराबाद पुलिस चौकी के इंचार्ज के रूप में तैनात थे।उसी कस्बे के विचल त्रिवेदी चाट का ठेला लगाकर अपने परिवार की आजीविका चलाते थे।उनके परिवार में पांच

पुत्रियां,एक पुत्र और पत्नी थीं।तीन जुलाई को अचानक टीन शेड पर करेंट उतर आने से विचल की मौत हो गयी।इस घटना से इस परिवार पर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो।इसकी जानकारी जब चौकी प्रभारी हनुमन्त तिवारी को हुई तो वह एक बेटे के रूप में उस परिवार के पास पहुँचे और न केवल ढाढस बंधाया बल्कि अपने स्तर से हमेशा हर सम्भव मदद का भरोसा भी दिया।थोड़े दिन बाद जब रक्षाबंधन का त्योहार आया तो वह फिर वहां पहुंचे और राखी बंधवाई तथा पाँचों बहनों को आश्वस्त किया कि आज से मैं तुम्हारा भाई हूँ।राखी बंधवाई तो फिर वह इस राखी के फर्ज को भला कैसे भूलते।इस राखी ने इस परिवार के साथ उनका बेटे और भाई का हमेशा-हमेशा के लिये अटूट रिश्ता जो कायम कर दिया था।बीते दो दिन पहले चौकी इंचार्ज की इस मुंहबोली बहन की शादी की बेला आयी तो उन्होंने इस गरीब बिटिया के लिए वह सब कुछ किया जिसकी उम्मीद आज के जमाने में एक सगे भाई से भी नहीं की जा सकती।चौकी इंचार्ज ने अपने वेतन की कमाई से अपनी इस मुंहबोली बहन की शादी का पूरा खर्चा उठाया।बारातियों के स्वागत-सत्कार से लेकर कन्यादान और बिदाई तक वह एक बेटे और भाई के रूप में इस परिवार के साथ खड़े दिखे।आर्थिक रूप से यह बिटिया औऱ उसका परिवार भले गरीब हो पर हनुमंत तिवारी जैसा भाई और बेटा पाकर यह परिवार न केवल अपने आपको धनवान बल्कि गौरवान्वित भी महसूस कर रहा था।आज के जमाने में एक वर्दीधारी से इस तरह के अपनत्व,सहयोग और संवेदनशीलता की उम्मीद शायद ही कोई कर सकता है

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