हल्द्वानी की पेयजल व्यवस्था का होगा निदान,
750 मीटर लंबी डाली जाएगी पेयजल लाइन।
हल्द्वानी
काठगोदाम-भद्यूनी मोटर मार्ग पर पहाड़ी के दुर्गम ईलाके में मौजूद शीतलाहाट गधेरे जल स्त्रोत का जिलाधिकारी सविन बंसल ने अधिकारियों के साथ बीते रोज निरीक्षण किया। गधेरे का रास्ता काफी दुर्गम होने के साथ ही खतरों और चुनोतियों (भू-स्खलन) से भरा हुआ था। फिर भी डीएम स्वयं को खतरे में डालते हुए गधेरे तक पहुॅचने में सफल रहे। श्री बंसल पहले जिलाधिकारी हैं जो जान जोखिम में डालकर इस दुर्गम ईलाके में 1 किलो मीटर की दुर्गम चढ़ाई पार कर गधेरे तक पहुॅचे।
हुआ यूॅ कि जब शीतलाहाट वाटर प्लांट का निरीक्षण जिलाधिकारी कर रहे थे तब जल संस्थान के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि प्लांट को पानी पहाड़ी के ऊपर 1 किलो मीटर की दूरी पर स्थित गधेरे से मिलता है। ग्रीष्म काल में हल्द्वानी में पानी की किल्लत के समय इस प्लांट का महत्व और अधिक बढ़ जाता है और हल्द्वानी शहर को भी शीतलाहाट प्लांट से भी पेयजल आपूर्ति की जाती है। अधिकारियों की इस बात पर उन्होंने पहाड़ी पर स्थित गधेरे पर जाने की इच्छा व्यक्त की। तुरन्त ही सारा अमला डीएम के साथ गधेरे की तरफ निकल पड़ा।
गधेरे के निरीक्षण के दौरान उनके संज्ञान में आया कि बरसात के समय गधेरे का अधिकांश पानी ओवर फ्लो होकर गोला नदी में समा जाता है। पानी की बरबादी को रोकने तथा हल्द्वानी शहर को पेयजल की आपूर्ति और अधिक बेहतर हो सके, इसलिए पानी की मात्रा बढ़ाने के लिए श्री बंसल ने निर्णय लिया कि बरबाद होने वाले पानी को प्लांट तक पहुॅचाने के लिए गधेरे नई पाईप लाईन डालकर शीतलाहाट वाटर प्लांट से जोड़ दिया जाये। उन्होंने अधिशासी अभियंता जल संस्थान विशाल सक्सेना को निर्देश दिए कि गधेरे से प्लांट तक 200 एमएम की 750 मीटर लम्बी पाईप लाइन डालने का यथाशीघ्र प्रस्ताव बनाकर प्रस्तुत करें। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए जिलाधिकारी श्री बंसल ने खनिज फाउण्डेशन निधि से 25 लाख की धनराशि भी मौके पर ही स्वीकृत कर दी। जिलाधिकारी की तत्परता से गधेरे के पानी की जहाॅ बरबादी रूकेगी, वहीं शहर को आपूर्ति होने वाले पेयजल की मात्रा में वृद्धि भी होगी।
श्री बंसल ने ब्रिटिश शासनकाल में शीतलाहाट प्लांट से हल्द्वानी शहर को की जाने वाली पेयजल आपूर्ति प्रक्रिया, वर्तमान में चल रही पेयजल आपूर्ति प्रक्रिया, पेयजल की आपूर्ति बढ़ाने की संभावनाओं का विस्तार से मौका मुआयना किया। इसके साथ ही श्री बंसल ने पानी क्लेरीफायर एवं पानी में एलम (फिटकरी) मिलाने की प्रक्रिया का निरीक्षण किया। उन्होंने फिल्टर बैडो की सफाई (बैक वाॅशिंग) तथा पेयजल का क्लोरीनेशन व टरवीडीटी जाॅच भी अपने सामने करायी। जाॅच में पानी पेयजल हेतु उपयुक्त पाया गया।