जरा हटके

जश्न ए बचपन–: तूलिका से उकेरे बच्चों ने दिल के भाव,

पेंटिंग बना बच्चों ने रंगीन कर दिया ग्रुप ”जश्न ए बचपन” ।
रामनगर

स्कूली बच्चों के व्हाट्सएप्प ग्रुप,”जश्न ए बचपन” में रविवार का दिन पेंटिंग के नाम रहा, जिसका संचालन जाने-माने चित्रकार सुरेश लाल द्वारा किया गया । दिन की खास बात यह रही कि इसमे कक्षा एक से कॉलेज तक के बच्चों ने बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी दी तथा ग्रुप में कल के दिन 35 प्रतिभागियों द्वारा अपनी पेन्टिंग प्रस्तुत की।


दिन की शुरुआत में पेंटिंग विशेषज्ञ सुरेश लाल ने डॉ. अन्नपूर्णा शुक्ला जोकि वनस्थली विधापीठ राजस्थान में एक एसोसिएट प्रोफेसर ड्राइंग एंड पेंटिंग हैं के परिचय के साथ की । उन्होंने बताया कि वह एक वरिष्ठ कलाकार के साथ-साथ एक कवित्री लेखिका भी है। उन्होंने ड्राइंग पुस्तकों का भी लेखन किया है।श्री सुरेश द्वारा डॉ .अन्नपूर्णा शुक्ला का एक वीडियो भी ग्रुप में भेजा गया जो कि उन्होंने फेसबुक पर लाइव किया था ।


सभी प्रतिभागियों द्वारा बहुत सुंदर और विभिन्न प्रकार के चित्र बनाये गये,जिसमे पर्यावरण पर आधारित पोस्टर ,कोरोना पर आधारित पोस्टर , मोनाल ,घोड़ा ,गांधी जी , विक्टोरिया मेमोरियल आदि शामिल थे। इसमें योगेश ,अंस , हेमलता बिष्ट, इशिता, आराध्या, प्रियांशु , दीक्षा,निधि, सानवी , दिव्यांशु ,आरना, पुलकित भोज आदि बच्चों द्वारा बढ़ चढ़कर प्रतिभाग किया गया ।
सुरेश लाल ने सभी बच्चों के चित्रों को बारीकी से अवलोकन कर सराहना की । रोहित द्वारा बनाए गए चित्र को देखकर उन्होंने कहा बहुत सुंदर बनाया है लेकिन गुंबद की गोलाई दोनों तरफ बराबर या एकग्रुप होने में थोड़ी सी कसर रह गई है। साथ ही गोलाई वाली रेखाओं को रुक रुक कर खींचे जाने से वह गतिमान नहीं दिखाई दे रही है । इसी क्रम में आगे बढ़ दिव्यांशु की पेंटिंग देख कहा वाह दिव्यांशु ! बहुत सुंदर कलर इफेक्ट।


साहित्यकार महेश चंद्र पुनेठा ने हेलो हल्द्वानी से प्रकाशित दिशा पन्त की लॉकडाउन डायरी को भी साझा किया। साथ ही कमलेश अटवाल ने बताया उत्तराखंड के प्रतिष्ठित ऑनलाइन पोर्टल काफल ट्री पर एक बहुत ही प्रेरित करने वाली स्टोरी छपी है। इसमें जश्न ए बचपन के ग्रुप संस्थापक नवेन्दु मठपाल से हुई बातचीत के आधार पर इस ग्रुप के वर्तमान और भविष्य पर बात रखी है ।
ग्रुप की गतिविधि के अनुसार सायं 7:00 बजे कमलेश अटवाल ने वीडियो के माध्यम से मानव व पशु संघर्ष तथा कोविड 19 पर काफी बेहतरीन और प्रभावशाली ढंग से अपनी बात रखी, जो काबिले तारीफ थी । उन्होंने कहा मानव पशु संघर्ष वर्तमान परिदृश्य में सार्वजनिक संवाद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन रहा है उन्होंने सभी बच्चों से अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करने को कहा जिसमे कृति ,दीक्षा, दीपिका तथा शीतल ने अपने विचार ग्रुप में साझा किए।
सीखने सिखाने की प्रक्रिया में आज का दिन कत्थक और संगीत का रहेगा,जिसमें कत्थक का संचालन आस्था मठपाल व संगीत का संचालन अमितांशु ने किया ।

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