पलिया बजाज चीनी मिल की राख और गंदा पानी बना जी का जंजाल, दे रहा भीषण असाद्धय बिमारियों को न्योता
विश्वकान्त त्रिपाठी
पलिया कलां लखीमपुर खीरी। बजाज चीनी मिल की चिमनियों से निकलने वाली काली राख यहा लोगों के लिये जी का जंजाल बन गयी है चिमनियो के धुये के साथ अधजली काली राख से पाचं किमी की परिधि के आसपास के गावो के लोग न सिर्फ मुसीबत झेल रहे हैं, बल्कि उनकी आंखों की रोशनी भी जाने का खतरा बना रहता है क्योकि उस राख में एक प्रकार की रासायनिक तत्व मिले रहते हैं और साथ ही वहां का निकलने वाला दुषित पानी भी लोगों के लिये परेशानी का सबब बना हुआ है इस बारे में क्षेत्रीय लोगों ने कई बार मिल प्रबंधन व प्रशासन से इसकी शिकायत की लेकिन नतीजा सिफर
पलिया क्षेत्र में एक मात्र चीनी मिल बजाज हिदुस्तान लिमिटेड हैं। इसमें पिछले काफी वर्षो से मिल की चिमनियों से निकलने वाली काली राख लोगों के जी का जंजाल बनी हुई है। प्रत्येक वर्ष नवीन गन्ना पेराई सत्र शुरू होते ही काली राख की समस्या शुरू हो जाती है। यह राख नगरवासियों के घरों को काला तो करती है। उनकी जिंदगी में भी स्याह अंधेरा भर रही है। नगर में दर्जनों लोग आंखों की समस्या से जूझ रहे हैं। इसमें बूढे से लेकर जवान तक सभी शामिल हैं। यही नहीं छतों पर कपड़े सुखाना तो लोग इस बीच भूल ही जाते हैं। बाजार में लगीं दुकानों पर रखी खाने पीने की वस्तुओं भूल से भी खुली रह जाएं तो उनका रंग ही बदल जाता है। साल दर साल जटिल हो रही इस समस्या से निजात दिलाने की मांग को लेकर नगरवासी अनेक बार मिल प्रशासन से मांग कर चुके हैं।
जनता को कोरे आश्वासनों के सिवाय कुछ नहीं मिला। स्थानीय लोगों ने मिल प्रशासन से एक बार फिर समस्या के समाधान की मांग की है। वहीं इस संबंध में मिल के प्रधान प्रबंधक से भी कहा गया कि काली राख की रोकथाम के लिए संयंत्र लगाया जाना प्रस्तावित है।परंतु हर बार कहा जाता है कि इसके लिये पेराई सत्र समाप्त होने के बाद कार्य प्रारम्भ कर दिया जाएगा परंतु फिर से वही रह जाता है ढाक के तीन पात।फिलहाल आपको यह भी बता दे कि चीनी मिल की राख और वहां से निकलने वाला गंदा पानी लोगों को कई तरह की गंभीर बीमारियां को न्योता दे रहे हैं। मिलों का गंदा पानी खुलेआम नदियों में जा रहा है, लेकिन अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं, हालांकि मिलों के अधिकारियों का कहना है कि वे लोग पानी का शोधन करने के बाद ही नदियों में छोड़ते हैं। परंतु हकीकत कुछ और बयां करती है।
चीनी मिलों में एक टन गन्ने की पेराई पर लगभग दो सौ लीटर पानी खर्च होता है। इस दौरान यह पानी बेहद ही गंदा और जहरीला हो जाता है। नियमानुसार गंदे पानी को साफ कर सिंचाई आदि के काम में लाया जाना चाहिए, परंतु पानी को साफ करने पर भारी खर्च आने के कारण मिल के अधिकारी गंदे पानी को सीधे नजदीक ही निकलने वाले कच्चे नाले में गिरा रहें हैं और यह नाला पलिया क्षेत्र के आस पास के गांव छोटी पलिया, बड़ा गांव, पट्टी पतवारा, सरखना पूरब और पश्चिम सहित अन्य गावों से होकर निकाला गया है और इस गंदे नाले के कारण गावों का पीने का पानी भी प्रदूषित हो रहा है जब इस बारे में गांव वालों से बात की गयी तो उन्होने बताया गंदे पानी की वजह से उनकी हालत बहुत ही खराब है और यह गंभीर समस्या है।वैसे जानकारी के लिये आपको यह भी बता दे कि पानी को साफ करने के लिए मिलों में ईटीपी (प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र) लगा होता है। समय समय पर प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारी इसका निरीक्षण भी करते हैं, परंतु उनका निरिक्षण कैसे होता है यह सोचनीय विषय बन जाता है।