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खेती किसानी को 70 साल में बदला पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सोच ने,

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हुआं किसान मेले का समापन,

प्रगतिशील किसान दे रहे हैं संघर्षशील किसान को टिप्स,

पंतनगर (सुनील श्रीवास्तव )

पंतनगर के चार-दिवसीय किसान मेले का समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह आज गांधी हाल में आयोजित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि प्रगतिशील कृषक श्री निर्मल सिंह तोमर थे, जो देहरादून जनपद के जौनसार-बावर क्षेत्र के थैना खत के पंचगाव के निवासी हैं। कुलपति, डा. तेज प्रताप ने समापन समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक, श्री राजेश शुक्ला, प्रगतिशील कृषक पदमश्री, भारत भूषण त्यागी, के साथ निर्देशक प्रसार शिक्षा, डा. अनिल कुमार शर्मा, एवं निदेशक शोध, डा. ए.एस. नैन भी मंच पर उपस्थित थे। 


डा. तेज प्रताप ने कहा कि किसानों और वैज्ञानिकों के बीच का संवाद इस चार-दिवसीय मेले में अत्यंत सफल रहा है और विश्वविद्यालय द्वारा पिछले 70 सालों से किसान मेला आयोजित करने की परम्परा का सफलतापूर्वक निर्वाहन किया जा रहा है, जो और भी बेहतरीन होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस किसान मेले में देश के विभिन्न प्रदेशों यथा हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा जम्मू एवं कश्मीर के दूर-दराज एवं बाॅर्डर क्षेत्र, पुंछ, से भी किसान आये। उन्होंने कहा कि देश के अन्य कृषि विश्वविद्यालय भी पंतनगर विश्वविद्यालय से सीख लेते हैं। यह विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड प्रदेश का होने के साथ-साथ राष्ट्रीय चरित्र रखता है तथा विश्व में दूसरा सबसे बड़ा कृषि विष्वविद्यालयों​ है। डा. तेज प्रताप ने सभी से इस विष्वविद्यालयों​ को केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनाये जाने हेतु वातावरण तैयार करने के लिए भी कहा।   
अपने मुख्य अतिथि के सम्बोधन में श्री निर्मल सिंह तोमर ने कहा कि किसानों को अपने खेत की दशा मृदा, स्थानीय मौसम, व क्षेत्र की ऊंचाई के अनुसार फसलों एवं फलों की उन्नत प्रजातियों का चुनाव कर उत्पादन में वृद्वि करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि वे औद्यानिक फसलों की नर्सरी का कार्य कर रहें है तथा 20 अन्य लोगों को रोजगार भी दे रहें है।

उन्होंने आम की 156 प्रजातियों के साथ-साथ अन्य फलों की प्रजातियों को जर्मप्लाजम के रूप में संरक्षित कर रखा है। श्री तोमर ने अखरोट की फसल में नयी ग्राफ्ंिटग तकनीक विकसीत करने की बात भी कही, जो 80 प्रतिशत तक सफल है। अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने बताया कि पर्वतीय क्षेत्र के किसानों के लिए नीबू व अखरोट का उत्पादन करना सबसे उत्तम है, जिसमें वे नौकरी से अधिक कमाई करने के साथ-साथ दूसरों को रोजगार भी दे सकते हैं।      
श्री राजेष शुक्ला ने कहा कि किसान मेला किसानों की बड़ी उम्मीद है और विश्वविद्यालय की बड़ी जिम्मेदारी है। इस जिम्मेदारी को विश्वविद्यालय बड़ी शिद्दत के साथ निभा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड का ही प्रथम विश्वविद्यालय नहीं है, बल्कि देश का प्रथम विष्वविद्यालय है और यह पहाड़ के साथ-साथ देश की कृषि के विकास के लिए भी कार्य कर रहा है। उन्होंने खेती को सम्मानजनक बनाये जाने के लिए कहा, ताकि किसान इससे सुखपूर्वक जीवन यापन कर सके। प्रगतिषील कृषक पद्मश्री भारत भूषण त्यागी ने कहा कि किसान व्यवसायिक रूप से काम करता है न कि व्यापारिक मानसिकता से। उन्होंने कहा कि सरकार को किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) को कम्पनी एक्ट में पंजीकरण कराने के नियमों में आवश्यक बदलाव करते हुए इसे किसानों के लिए सुविधाजनक बनाना चाहिए, ताकि ये किसानों की आय दुगना करने के उद्देष्य को प्राप्त कर सके। साथ ही इसमें चुनाव प्रक्रिया के स्थान पर चयन प्रक्रिया को अनाया जाना चाहिए, जो योग्यता पर अधारित हो। श्री त्यागी ने एफपीओ को पंजीकरण पर कोई फंड सरकार द्वारा न दिये जाने के लिए भी कहा।   


कार्यक्रम के प्रारम्भ में चार-दिवसीय 107वें किसान मेले के बारे में जानकारी देते हुए डा. अनिल कुमार शर्मा ने बताया कि पंतनगर विश्वविद्यालय के लगभग 30.00 लाख रूपये के बीज, पौधे व कृषि साहित्यों की बिक्री हुयी। उन्होंने बताया कि इस मेले में विभिन्न फर्मों, विश्वविद्यालय एवं अन्य सरकारी संस्थाओं के छोटे-बड़े 400 से अधिक स्टाल लगाये गये व लगभग 10 हजार पंजीकृत एवं अपंजीकृत किसानों ने मेले का भ्रमण किया। 

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