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पेंड्रोल क्लिप की सुरक्षा से लेकर रेल यात्रियों की सुरक्षा करने वाले प्रथम पंक्ति पर खड़े होकर कोरोना संक्रमण से निपटने में अपना अहम योगदान देने वाले रेलवे सुरक्षा बल को पूर्वोत्तर रेलवे ने अपने भारतीय रेलवे के सुपर हीरो के पोस्टर से बिल्कुल ही नादारत कर दिया।
और ऐसे लोगों को उस पोस्टर में जगह दी जो कोरोना वायरस से निपटने में सिर्फ अपने ऑफिस तक सीमित होकर के रह गए।पूर्वोत्तर रेल प्रशासन का यह निर्णय कहीं भी सकारात्मक नहीं कहा जा सकता इससे जहां इन जांबाज़ कोरोना वारियर्स का मनोबल गिरेगा वही अग्रिम पंक्ति पर खड़े होकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन को निर्विघ्न अपनी सेवाएं देने वाले इन वारियर्स के हौसले में भी कमी आएगी।
लॉक डाउन के बाद जहां पूरा देश एक तरह से थम सा गया था वहीं भारतीय रेल अपनी गति के हिसाब से चलती रही।आम जनता को समय से खाद्यान्न पहुंचाने मैं लगा ऑपरेटिंग सिस्टम हो या रेल की एक छोटी सी पेंड्रोल क्लिप की सुरक्षा से लेकर कोरोना काल में में लगे रेलवे सुरक्षा बल के वह जांबाज़ योद्धा जो गरीब बेसहाराओं को दोनों वक्त का भोजन मुहैया कराते रहे तथा इन सबके बीच एक मजबूत दीवार बनकर भारतीय रेल को उसके संचालन में निर्विघ्नं रूप से लगे रहे।उनके साथ इस तरह का मजाक किसी के गले नहीं उतर रहा है।
लेकिन रेल प्रशासन ने भारतीय रेलवे के सुपर हीरो में डॉक्टर्स, पैरामेडिकल्स,ट्रेनड्राइवर्स,गार्डस, ऑफिशियल, एवं टेक्नीशियन को तो जगह दी लेकिन रेलवे सुरक्षा बल को छोड़ दिया ।जिससे इन कर्म वीरों को इस पोस्टर से सिर्फ हताशा ही मिली है।कोविड-19 की लड़ाई में सबसे आगे की पंक्ति में खड़ा रह कर मुस्तैद रहने वाला रेलवे सुरक्षा बल आज अपने को पूरी तरह से हाशिए पर लाए जाने से हताश है तथा अंदर खाने इस कोरोना बीमारी में अपनी जान गवा देने देने वाले सब इंस्पेक्टर की शहादत एवं हवलदार की शहादत से काफी दुखी भी है।
लुधियाना के जवान पवन कुमार हो या फिर अहमदाबाद के मणिपुर पोस्ट के हेड कांस्टेबल विसेंट फर्नांडिस या फिर खंडवा पोस्ट के एएस आई रमापति पांडे जिन्हें कोरोना ने अपने आगोश में जकड़ लिया यह सोचकर रेलवे सुरक्षा बल के यह कोरोना वारियर्स पूर्वोत्तर रेल प्रशासन से उस पोस्टर पर रेलवे सुरक्षा बल को भी स्थान देखने को लालायित हैं।