देहरादून
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने जब से उत्तराखंड राज्य की मुखिया की कमान संभाली है तब से राज्य की मित्र पुलिस के चेहरे पर नया तेज देखने को मिल रहा है मुखिया की प्रेरणा का हाल है यह है कि अब पुलिस आम जनमानस के साथ मित्र पुलिस तरह से व्यवहार करते हुए उनके सुख-दुख में खड़ी है यहां तक कोरोना काल में अनेक मरीजों को ब्लड एवं प्लाज्मा दान कर लोगों की जिंदगी बचाई है। कोरोना काल में उत्तराखण्ड की मित्र पुलिस ने लगातार ऐसे प्रयास किये हैं, जिनसे लोगों का मित्र पुलिस पर विश्वास काफी बढ़ा है, और लोगों ने मित्र पुलिस के कार्यों को खुले दिल से सराहा भी है। संकट की इस घड़ी में उत्तराखण्ड पुलिस ने मिशन हौंसला के अन्तर्गत तमाम लोगों की जो सेवा और मदद की है, वह वाकई में काबिले तारीफ है।
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हाल ही में बागेश्वर का मामला सामने आया था, जहां एक थानेदार जिला अस्पताल पहुंच गये थे, और वहां जाकर एक बुजुर्ग महिला की जान बचाई थी। अब मामला देहरादून का है जहां एक उप निरीक्षक ने दो बच्चों को भुट्टे बेचते हुए देखा तो उन्होंने ऐसा कुछ किया कि आप जानकर दिल से बिना तारीफ किये नहीं रह पाएंगे।
देहरादून के घंटाघर पर ड्यूटी पर तैनात एसआई शिशुपाल राणा ने देखा कि दो मासूम अपनी टूटी साईकल में कुछ भुट्टे लिए लोगों से उन्हें खरीदने की गुजारिश कर रहे थे। वे बच्चों के पास पहुंचे और भुट्टे बेचने का कारण पूछा, तो बच्चों ने बड़ी मासूमियत के साथ जवाब दिया कि भुट्टे बेचकर जो मिलेंगे वे उन पैसों को घर जाकर अपनी माँ को देंगे जिससे उनकी माँ उनके लिए राशन लाएगी। बच्चों की मजबूरी और मासूमियत भरा जवाब सुनकर एसआई शिशुपाल राणा ने तुरंत बिना जरूरत ही बच्चों से उनके पास मौजूद 10 भुट्टे 200 रुपये में खरीद लिए और बच्चों को मास्क देकर उनके घर वापस भेजा। पुलिस का यह रूप देखकर बच्चों ने थैंक्यू अंकल कहते हुए माँ को पैसे देने के लिए खुशी-खुशी घर की और अपनी साइकिल दौड़ दी।