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आज की सबसे बड़ी खबर, कोरोना वायरस से भी खतरनाक बीमारी का आज हुआ सफाया, चारों बलात्कारियों को फांसी

नई दिल्ली

आखिरकार सात साल तीन महीने तीन दिन बाद देश की बेटी निर्भया को इंसाफ मिल ही गया। निर्भया के दोषियों (मुकेश, पवन, अक्षय और विनय) को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। निर्भया के दोषियों ने फांसी टालने के लिए सभी हथकंडे अपनाए। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली होईकोर्ट के फैसले पर दोषियो की ओर से दायर याचिका पर आधी रात को सुनवाई की
अपनाए। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली होईकोर्ट के फैसले पर दोषियो की ओर से दायर याचिका पर आधी रात को सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने आधी रात को हुई सुनवाई में निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्याकांड के गुनाहगारों की फांसी पर अपनी अंतिम मोहर लगा दी थी, जिसके बाद निर्भया के दोषियों का फांसी पर लटकना तय हो गया था। निर्भया के दोषियों को आज सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दी गई। करीब चार बजे फांसी की प्रक्रिया शुरू हुई। चारों दोषियों को सुबह तड़के चार बजे उठाया गया। इसके बाद उनका मेडिकल किया गया। जिसमें सभी फिट पाए गए। इसके बाद दोषियों को काले कपड़े पहना गए थे। उनके दोनों हाथ पीछे बांध दिए गए । उन्हें फांसी घर तक ले जाया गया, जहां निर्भया के दोषियों को फांसी दी गई।

सुप्रीम कोर्ट ने आधी रात को की सुनवाई
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आधी रात को हुई सुनवाई में निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्याकांड के गुनाहगारों की फांसी पर अपनी अंतिम मोहर लगा दी। जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण एवं जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने मध्य रात्रि के बाद न्याय के सर्वोच्च मंदिर का दरवाजा खोलकर करीब एक घंटे तक गुनाहगार पवन गुप्ता की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने पवन की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि दया याचिका पर राष्ट्रपति के निर्णय की न्यायिक समीक्षा का दायरा बहुत ही सीमित है और मृत्युदंड पर रोक को लेकर कोई नया तथ्य याचिका में मौजूद भी नहीं है। जस्टिस भानुमति ने खंडपीठ की ओर से फैसला लिखवाते हुए कहा, ”राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के निर्णय को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिका में याचिकाकर्ता ने कोई ठोस कानूनी आधार नहीं पेश किया है। याचिकाकर्ता ने दोषी पवन के नाबालिग होने संबंधी उन तथ्यों को रखा, जिन्हें पूर्व में ही अदालत सुनवाई करके नकार चुकी है। इसलिए उक्त याचिका खारिज की जाती है।”

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