उत्तराखण्ड

अपनी संस्कृति–:कौ सुआ,काथ कौ हुई प्रकाशित…

कुमाउनी भाषा की कथायात्रा किताब कौ सुआ,काथ कौ हुई प्रकाशित…

80 वर्षां में फैली कुमाउनी भाषा की कथायात्रा को अपने में समेटी पुस्तक कौ सुआ काथ कौ प्रकाशित हो कर के आ गयी है। पम्पापुर ,रामनगर निवासी कुमाउनी के वरिष्ठ साहित्यकार मथुरादत्त मठपाल ने इस पुस्तक का सम्पादन किया है।इस पुस्तक में कुल 100 कुमाउनी कहानियां हैं।यह जानना सुखद है कि कुमाउनी की पहली कहानी 30 के दशक में अल्मोड़ा से छपने वाली ‘अचल’ पत्रिका में 1938 में छपी थी। तब से लेकर 2018 तक छपने वाली कुमाउनी की कहानियां इस किताब में संग्रहीत हैं। ये पहली बार है जब कोई किताब कुमाउनी भाषा की कहानियों के इतने बड़े कालखण्ड को अपने में समेटे है। लगभग 456 पृष्ठों में फैली इस कथायात्रा को हम 1938 से 2018 तक 80 वर्षों की कुमाउनी भाषा की कथायात्रा के रूप में भी देख सकते हैं और 80 वर्ष, 100 लेखक और 100 कहानियां, यह भी इसका एक रूप है। कहानियां कालक्रमानुसार गूंथी गई है और जाहिर है इन कहानियां के माध्यम से हम एक बड़े कालखण्ड में कुमाउनी कथासाहित्य में आये विविध बदलावों का जायजा ले सकते हैं।
किताब की भूमिका और सम्पादकीय महज औपचारिक न होकर कुमाउनी भाषा के कथासाहित्य पर प्रकाश डालने वाले महत्वपूर्ण आलेख हैं। पुस्तक में इस कालावधि में कुमाउनी भाषा में कथालेखन में सक्रिय कथाकारों का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है। इसमें बहुत सारे ऐसे कथाकारों की कहानियां भी पढ़ने को मिलेंगी जिन्हें हम हिंदी के रचनाकार के रूप में जानते हैं लेकिन इस संग्रह से ज्ञात होता है कि उन्होंने कुमाउनी में भी लिखा और लिखते हैं। इससे पूर्व ‘हुँगरा’ पुस्तक में गढ़वाली भाषा की 100 वर्ष 100 लेखक 100 कथाओं के रूप में एक शदी की कथायात्रा दर्ज है। समयसाक्ष्य से प्रकाशित इन दोनो ग्रंथों को उत्तराखण्ड की दो महत्वपूर्ण भाषाओं के कथा साहित्य के इतिहास से लेकर वर्तमान की एक झलक को पाठकों के समक्ष रखने वाले कामयाब प्रयास के रूप में देखा जा सकता है।
80 बर्षीय मथुरादत्त मठपाल के सम्पादकत्व में निकले इस कहानी संग्रह में जहाँ एक ओर गोबिंदबल्लभ पन्त सरीखे वरिष्ठ नाटककार की कहानी मौजूद हैं वहीं हिंदी के प्रसिद्ध कहानीकार शेखर जोशी ,रमेश चन्द्र शाह की कुमाउनी कहानी भी मौजूद है।कुमाउनी कविताओं के प्रमुख हस्ताक्षर शेरदा अनपढ़,गोपाल भट्ट,प्रेमसिंह नेगी की कहानियां भी हैं।नए कहानीकारों में दिनेश भट्ट,पवनेश ठकुराठी, उदय किरौला,अनिल भोज,जगमोहन रौतेला,दिनेश कर्नाटक,हयात सिंह रावत को भी पुस्तक में स्थान मिला है।

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