उत्तराखण्ड

अनोखी दीपावली–: इस तरह से मनाई दो अधिकारियों ने अनोखी दीपावली,गरीबों के चेहरे पर मुस्कान लाने का किया प्रयास।।

एसडीएम हिमांशु कफल्टिया ने सपत्नीक मनाई अनोखी दीपावली, गरीब परिवारों के साथ बांटी खुशियां l

पचास गरीब परिवारों को बांटी दीपावली किट

गरीब परिवार जता रहे है कफल्टिया दम्पत्ति का आभार

टनकपुर
सामाजिक सरोकार के ताने-बाने को और प्रबल करते हुए एक अधिकारी ने अनोखी मिसाल पेश करते हुए कुछ लोगों के चेहरे पर खुशी लाने का प्रयास किया जिसकी आज हर जगह चर्चा हो रही है यदि हर आमो- खास इस मुहिम को और आगे बढ़ाएं तो समाज में कोई दुखी नहीं हो सकता आमतौर पर लोग होली, दीपावली, जन्मदिन आदि अपने परिवारों के बीच मनाते हैं l परिवार की खुशी को ही सर्वोपरि रखकर ही त्योहारों को सेलिब्रेट करते हैं, लेकिन टनकपुर के एसडीएम हिमांशु कफल्टिया ने सपत्नीक अनोखी दिवाली मनाकर एक नजीर पेश की है l उन्होंने पचास गरीब परिवारों के संग दीपावली का पर्व मनाया है l इन परिवारों को उन्होंने दिवाली किट देकर गरीबो के चेहरे में मुस्कान लाने का काम किया है जिसके बाद वह परिवार काफी गदगद होकर इन अधिकारियों को दुआएं दे रहे हैं।
दीपावली के खास मौके पर तमाम जनपद की सुरक्षा व्यवस्थाओं के बीच समय निकालकर एसडीएम हिमांशु कफल्टिया एवं उनकी धर्मपत्नी गुंजन शर्मा कफल्टिया ( सहायक आयुक्त आयकर विभाग वित्त मंत्रालय भारत सरकार) ने नगर के 50 निर्धन परिवारों को दीवाली किट भेट कर उनके चेहरों पर खुशी लाने का काम किया है l दिवाली किट में दिए, मोमबत्ती, तेल, रुई व मिठाई पैक की गई थी l जिसको प्राप्त कर गरीब परिवार कफल्टिया दम्पती का आभार व्यक्त करते पाये गए, उनका कहना है कि आज तक तमाम अधिकारियों को हमने देखा है लेकिन किसी ने आज तक हमारी सुध लेने का प्रयास नही किया l पहली बार ऐसे अधिकारी को हमने देखा है जो परिवार सहित गरीब बस्ती में आकर हमे दिवाली मनाने का सामान देकर हमारे हाल चाल पूँछ रहे है l दोनो पति पत्नी का हम सभी आभार व्यक्त करते है l

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वही इस संबंध में जानकारी लेने पर एसडीएम हिमांशु कफल्टिया ने बड़ी ही शालीनता से बताया किहमारे परिवार द्वारा विभिन्न महत्वपूर्ण दिवसो जैसे दीपावली, होली के त्यौहार तथा जन्मदिवस आदि गरीब परिवारों के साथ ही मनाने की परंपरा है l उन्होंने कहा कि समाज एवं देश ने हमें बहुत कुछ दिया है उसके बदले समाज को कुछ वापस देना हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी बनती है। अलबत्ता मलिन बस्तियों में जाकर गरीबो के साथ त्योहार मनाने की इस अनूठी परंपरा की सर्वत्र लोग सराहना कर रहे है ।

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